भोपाल- सब्र का बांध जब टूट जाता है तो इंसान अपने आप में नहीं रहता है। ऐसा ही कुछ हुआ भोपाल कलेक्टर की जनसुनवाई में । लगातार 10 जनसुनवाई में अपनी गुहार लेकर आ रहे 1992 का दंगा पीड़ित कालूराम का सब्र टूट गया । वो लट्ठ लेकर आया, पहले हाथ जोड़कर निवेदन किया लेकिन जब हमेशा की तरह इस बार भी टालने वाला जवाब मिला तो उसने लट्ठ उठाया और कलेक्टर के दरवाजे में दे मारा । दरवाजे का कांच टूटकर बिखर गया।
कैंची छोला रोड निवासी कालूराम साहू 1992 का दंगा पीड़ित है । रोजगार और आजीविका के लिए वह लगातार 10 जनसुनवाई से कलेक्ट्रेट आ रहा है, लेकिन उसकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो उसने जनसुनवाई के दौरान ही डंडे से कलेक्ट्रेट सभाकक्ष के कमरे का कांच तोड़ दिया ।
कांच के टुकड़े कमरे में मौजूद लोगों पर भी गिरे । इसके बाद जमकर बवाल हुआ। हंगामा इतना बढ़ा कि मौके पर पुलिस बुलानी पड़ गई और तब जाकर मामला शांत हो पाया, पुलिस ने कालूराम को हिरासत में लिया है ।
दंगा पीड़ित कालूराम साहू ने कहाकि , ‘मैं दंगा पीड़ित हूं। मेरी एक आंख और हाथ दंगा में खराब हो गया है । मैं भुखमरी से जूझ रहा हूं। इस कारण परेशान होकर मैंने यह कदम उठाया।’ तोड़फोड़ के बाद बुजुर्ग कालूराम पर केस दर्ज किया जाएगा, लेकिन सवाल यह है कि 10 जनसुनवाई से वह परेशान है। क्या अधिकारियों पर कोई केस दर्ज किया जाएगा ।