मुगलसराय: कार्रवाई से डरे मीट कारोबारियों ने कहा- सरकार मुसलामानों से रोज़गार छीनना चाहती है

मुगलसराय(चन्दौली): उत्तर प्रदेश में अवैध बूचड़खाने और मीट पर कार्रवाई के डर से इससे जुड़े लोग अपनी दुकानें खोलने को तैयार नहीं हैं।

गोश्त कारोबारियों का मौजूदा हाल

ज्यादातर व्यापारियों को ये डर है कि कहीं प्रशासन उनके ऊपर कोई कार्रवाई न कर दे। कुछ कारोबारी हड़ताल का सहारा ले रहे हैं लेकिन दोनों ही सूरतेहाल में बूचड़खानों के साथ-साथ गोश्त कारोबारियों ने दुकाने बंद कर रखी हैं।

इस वजह से पूरे ज़िले में गोश्त की सप्लाई में मंदी का सिलसिला शुरू हो गया है और इस स्लॉटर हाऊस जुड़े तमाम गोश्त कारोबारियों ने दुकाने बंद कर रखी है।

कितना है खास मुगलसराय ?

चन्दौली ज़िले का मुगलसराय कई मामलों में खास है। मुगलसराय पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म स्थान है। चन्दौली ज़िला 2002 के बाद वाराणसी से अलग होकर वजूद में आया। केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी चन्दौली ज़िले के रहने वाले हैं।

चन्दौली ज़िले का मुगलसराय जंक्शन पूर्वोत्तर और बिहार-बंगाल का सबसे बड़ा रेलवे हब है।

मुगलसराय का कसाब मोहल गोश्त कारोबारियों का गढ़

मुगलसराय से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर वाराणसी और 15 किलोमीटर की दूरी पर चन्दौली का ज़िला मुख्यालय भी है। मुगलसराय में लगभग 60 हज़ार मुस्लिम वोटर हैं और आबादी के लिहाज़ से 20 फीसदी मुस्लिम मुगलसराय में हैं।

मुगलसराय के कसाब मोहाल में स्थित ये बूचड़खाना, चन्दौली ज़िले का एक मात्र बूचड़खाना है जहां से ज़िले के सैयदरज़ा, दुलहीपुर और चकिया इलाके में बीफ के गोश्त से जुड़े काराबारी अपना काम चलाते हैं।

योगी राज्य में मुगलसराय के कारोबारियों का क्या है हाल?

मुगलसराय के पुराने हो चुके स्लाटर हाऊस नवीनीकरण पूर्व चेयरमैन ने करवाया था लेकिन यहां के गोश्त कारोबारियों ने प्रशासन के डर से अपनी दुकाने बंद कर रखी है। जो लाईसेंसधारी हैं उनके लाईसेंस की मियाद भी अगले 2 दिन में खत्म होने वाली है।

कसाब मोहाल में सियासत से बात करते हुए पूर्व सभासद मुहम्मद मुश्ताक अहमद बताते हैं कि यहां के गोश्त कोरोबारियों का प्रशासन ने लाईसेंस रिन्युअल नहीं किया गया है। इस वजह से वो व्यापारी हड़ताल पर हैं।

क्या कहते हैं जानकार?

यंग लायर्स सोसाईटी के अध्यक्ष एडवोकेट खालिद वकार आबिद बताते हैं कि मुसलमानों के ज्यादातर कुटीर उद्योग धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं और गोश्त का कारोबार भी मुसलमानों का एक तरह से कुटीर उद्योग ही है।

सियासत लखनऊ ब्यूरो से बात करते हुए एडवोकेट खालिद वकार आबिद कहते हैं कि सरकार की मंशा मुसलमानों के रोज़गार को नुकसान पहुंचाने की लग रही है।

बूचड़खाने के मसले पर एडवोकेट आबिद कहते हैं कि ‘मुगलसराय का बूचड़खाना नगर पालिका का है और तमाम कारो​बारी नियमानुसार टैक्स भी अदा करते हैं लेकिन आज ये हालत है कि नगर पालिका गोश्त कारोबारियों से बात करने में कतरा रही है और उनको कोई भी मुश्तकिल जवाब नहीं दे रहे हैं। लाईसेंस जारी करने की प्रक्रिया में प्रशासन ने कारोबारियों को उलझा रखा है और ये साफ़ नहीं किया जा रहा है कि लाईसेंस आखिर किस दफ्तर से जारी होगा?’

एडवोकेट आबिद कहते हैं कि ‘हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने बूचड़खानों को आबादी से दूर स्थापित करने के आदेश दिए है लेकिन कभी भी इन बूचड़खानों को बंद करने के आदेश नहीं दिए हैं।

गोश्त कारोबारियों के सामने अब अहम मुद्दा

लेकिन अब सबसे अहम मुद्दा ये है कि आखिर इस बंदी का असर कब तक रहेगा और ये कारोबारी कबतक अपनी दुकाने बंद रखेंगे, मुगलसराय के गोश्त कारोबारी फिलहाल बेगारी की किल्लत से दो चार हो रहे हैं और बाल बच्चों की शिक्षा स्वास्थ्य और भोजन के संकट से जूझ रहे हैं।