ग़ाज़ीपुर: यूपी चुनाव में विकास की चाहे जितनी भी बात कर ली जाए, अंत में जीत धार्मिक और जातिगत गोलबंदी से ही तय होती है। कुछ यही समीकरण पूर्वांचल के कुछ जिलो में असर रखने वाले अंसारी बंधुओं की पार्टी ‘कौमी एकता दल’ का भी है। जिसका पहले समाजवादी पार्टी और फिर बहुजन समाज पार्टी में विलय हुआ।
अंसारी बंधुओं को मायावती ने टिकट देकर मऊ, घोसी और गाज़ीपुर के मुहम्मदाबाद से उतारा है।
मुख्तार अंसारी अपने परंपरागत सीट मऊ सदर से चुनाव लड़ रहे हैं तो वहीं उनके बड़े बेटे अब्बास अंसारी ने मऊ ज़िले की घोसी विधानसभा सीट से ताल ठोका है, जबकि मुख्तार के बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी ने ग़ाज़ीपुर के मुहम्मदाबाद सीट से खड़े हैं।
सिबगतुल्लाह अंसारी ने 2012 के विधानसभा चुनाव में मुहम्मदाबाद से जीत का परचम लहराया था। इस बार फिर से सिबगतुल्लाह अंसारी उसी सीट से उतर चुके हैं।
मुहम्मदाबाद सीट से सिबगतुल्लाह अंसारी को चुनौती देने के लिए कृष्णानंद राय की पत्नी अल्का राय को भाजपा ने खड़ा किया है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन ने मुहम्मदाबाद से हैदर अली टाईगर को उतारा था, लेकिन समर की तकनीकी समस्या के कारण हैदर अली टाईगर का नामांकन खारीज हो गया, जिसके बाद सिबगतुल्लाह को सीधे तौर पर अल्का राय टक्कर देने के लिए खड़ी हैं।
बता दें कि मुहम्मदाबाद में भूमिहार वोटर बहुमत मेंं है, जबकि मुस्लिम मतदाता भूमिहार मतदाताओं की अपेक्षा कमज़ोर एवं अल्पमत में हैं। ऐसे में भूमिहार वोटर जो कि खुद को राय शब्द से पहचाने जाते है, उनके लिए अल्का राय एक विकल्प के रूप में उभर कर आई है।
पूर्वांचल में इस समय केन्द्रीय मंत्री एवं रेलराज्य मंत्री मनोज सिन्हा भूमिहार जाति के सबसे बड़े नेता हैं और अल्का राय को मनोज सिन्हा का समर्थन हासिल है। अगर धर्म और जाति का सैलाब मतदाताओं के दिल में उमड़ता है तो भूमिहारों का वोट सीधे अल्का राय को जाएगा, जो सिबगतुल्लाह अंसारी के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है।
लेकिन इस बात को भी नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता कि 2012 में सिबगतुल्लाह अंसारी को भूमिहार मतदाता ने भी वोट किया था हालाँकि इस बार कब्रिस्तान से लेकर शमसान तक के घमासान में सिबगतुल्लाह अंसारी की मुहम्मदाबाद सीट मुश्किल में दिख रही है।
ग़ाज़ीपुर ज़िले में 8 मार्च को मतदान होना है ऐसे मतदाता अगर खुद को भूमिहार मानकर वोटिंग करता है तो सिबगतुल्लाह को मुहम्मदाबाद सीट से हाथ धोना पड़ सकता है।
- शम्स तबरेज़