मुंबई में हॉस्टल के कमरे में मृत पाई गई पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल स्टूडेंट डॉक्टर पायल तड़वी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी गर्दन पर निशान मिले हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ‘मौत का अनंतिम कारण’ के तहत उसकी गर्दन पर निशान बताए हैं।
तड़वी के परिवार की ओर से पेश हुए वकील नितिन सतपुते ने आरोप लगाया कि चोट के निशान से पता चलता है कि तड़वी की हत्या की गई और इसलिए आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
हालांकि, आरोपियों के वकील आबाद पोंडा ने दलील दी कि तीनों डॉक्टरों को तड़वी की जाति के बारे में पता भी नहीं था। उन्होंने कहा, ‘आत्महत्या के लिए तब उकसाया जाता है जब कोई जानबूझ कर व्यक्ति को नुकसान पहुंचाना चाहता है लेकिन आरोपियों ने (इस मामले में) केवल उनके काम के लिए उन्हें डांटा था और उनको नुकसान पहुंचने की कोई मंशा नहीं थी।’ वहीं, नितिन सतपुते ने कोर्ट में आरोप लगाया, ‘आरोपी पायल के शव को दूसरी जगह ले गए थे और उसके बाद अस्पताल लाया गया, ऐसे में सबूतों के साथ छेड़छाड़ का भी संदेह हैं।’
आरोपियों के वकील पोंडा ने कहा कि अगर मृतका को कोई रास्ता नहीं सूझा तो उन्हें नौकरी छोड़ देनी चाहिए थी या शीर्ष अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज करानी चाहिए थी, जो कि उसने नहीं की। व्हाट्सएप चैट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि तड़वी ने अपनी मां को बताया था कि अस्पताल में कोई नहीं जानता कि उसकी जाति क्या है? उन्होंने कहा कि पुलिस केवल पीड़िता की मां की शिकायत पर भरोसा कर रही है, जिन्होंने इस घटना के संबंध में तीनों आरोपियों की किसी खास भूमिका के बारे में नहीं बताया।
आरोपियों के एक अन्य वकील संजीव बहल ने अदालत को बताया कि मृतका की शादी एक डॉक्टर के साथ हुई थी लेकिन उसके साथ रहने के बजाए वह हॉस्टल में रह रही थी तो हो सकता है कि किसी पारिवारिक मुद्दे की वजह से उन्होंने यह कदम उठाया हो।
बचाव पक्ष के वकीलों ने कहा कि जिस कमरे में तड़वी कथित तौर पर लटकती पाई गईं थीं वह अंदर से बंद था इसलिए किसी और के वहां होने की संभावना नहीं बनती। उन्होंने कहा कि आरोपियों के पास तड़वी के कमरे तक पहुंचने का कोई जरिया नहीं था और पुलिस ने दरवाजा खोला और शव बरामद किया।
बुधवार को सभी तीन आरोपियों को एक कोर्ट में पेश किया गया, जिसने उन्हें 31 मई तक पुलिस रिमांड में भेज दिया। कोर्ट ने पुलिस की दलील को स्वीकार कर लिया कि भक्ति मेहेरे, हेमा आहूजा और अंकिता खंडेलवाल को हिरासत में लेने की जरूरत इसलिए है ताकि यह पता चल सके कि मृतका ने कोई सुसाइड नोट छोड़ा था और अगर छोड़ा था तो क्या आरोपियों ने उसे गुम कर दिया या नष्ट कर दिया।
पुलिस ने कोर्ट से कहा कि आरोपियों के मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए हैं लेकिन पीड़िता के साथ उनके व्हाट्सऐप चैट को हासिल करने के लिए और समय की जरूरत है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि मेहेरे को जहां मंगलवार को गिरफ्तार किया गया वहीं आहूजा एवं खंडेलवाल को बुधवार सुबह पकड़ा गया।
साभार- आऊट लूक हिन्दी