भीड़तंत्र और मुसलमान

देश में आज का माहौल मुसलमानों के हक में है। दुनिया देख रही है कि मोदी सरकार आने के बाद मुसलमानों के एक के बाद एक विभत्स उत्पीड़न और न्यायिक उत्पीड़न के बावजूद भी मुसलमान खामोश हैं। वह देश की न्याय व्यवस्था और संविधान पर भरोसा करके चुपचाप सभी उत्पीड़न बर्दाश्त कर रहा है और इन उत्पीड़न के विरुद्ध न्यायिक प्रक्रिया का सहारा ले रहा है। मुसलमानों ने ऊना की तरह आंदोलन करके न तो जिग्नेस मवानी पैदा किया न सहारनपुर में ‘भीम आर्मी’ की तरह प्रतिकार करके ‘चन्द्रशेखर रावण’ पैदा किया।

इस देश में आज की परिस्थितियों में मुसलमानों का ऐसा व्यवहार मुसलमानों के प्रति संघ के 70 सालों के दुष्प्रचार का जवाब दे देगा और देश के ही अन्य सभी नागरिक अपने मन में बैठा दिए भ्रम को तोड़ देंगे। यह भी सही है कि अखलाक, फरीद, अयूब, ज़ाहिद, मजलूम, छोटू, पहलू और इमरान जैसे लोग इसके लिए शहादत देते रहेंगे। पर फिर भी मुसलमानों में न तो ‘चन्द्रशेखर रावण’ पैदा होंगे न जिग्नेश मवानी।

भाजपा सरकारें, सुशासन के नाम पर चुनकर आती रही हैं और यह अब प्रमाणित करने की आवश्यकता नहीं है कि इनसे अधिक उत्पीड़न करने वाली सरकारें फिलहाल देश में और कहीं नहीं है। दरअसल, इन सरकारों में भीड़ को वह सब करने का अधिकार मिल गया है जैसाकि भीड़ ने 6 दिसम्बर को किया। तब जर्जर बूढ़ी बाबरी मस्जिद थी तो अब जीवित मुसलमान इनके आक्रमण के केन्द्र में हैं।

कल झारखण्ड के राजनगर और बागबेड़ा थाना क्षेत्र में बच्चा चोरी का आरोप लगाते हुए छह लोगों की हत्या कर दी। राजनगर में जहां बिलकुल सुबह मोहम्मद नईम, सेराज खाँ, सज्जू की हत्या की गई। वहीं बागबेड़ा थाना क्षेत्र में रात नौ बजे शेख हलीम सहित तीन लोगों की हत्या की गई। कुल चार मुसलमान फिर इस भीड़ के हाथों मारे गए। संयम बनाए रखिए, “कानून अपना काम करेगा।” इस देश में सबसे बड़ा बोले जाने वाला झूठ है, उसी कानून पर भरोसा रखिए। मुसलमान सिर्फ़ सब्र कर सकता है, सब्र करिए।

मोहम्मद ज़ाहिद के फेसबुक वॉल से