कोच्चि। एक साथ तीन तलाक को अपराध करार देने वाले विधेयक के कई प्रावधानों को अवैध करार देते हुए भारतीय मुस्लिम यूनियन लीग के नेता ने कहा है कि मुस्लिम संस्थाएं इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगी।
मुस्लिम लीग के लोकसभा सांसद पीके कुंहलिकुट्टी ने कहा कि इस बिल में कई खामियां हैं, यदि राज्यसभा से भी इसे मंजूरी मिलती है तो मुस्लिम संस्थाएं सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगी।
इसी सप्ताह लोकसभा ने तीन तलाक विरोधी बिल को मंजूरी दी है। इसमें तीन तलाक का दोषी पाए जाने पर पति को 3 साल की कैद का प्रावधान है।
पीके कुंहलिकुट्टी ने कहा कि इस विधेयक में कई तरह की खामियां और विरोधाभास हैं। मुस्लिम लीग के महासचिव ने कहा कि यदि उच्च सदन से यह बिल पास होता है तो तमाम मुस्लिम संस्थाएं सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगी।
कुंहलिकुट्टी ने कहा, ‘हम इस विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। यदि राज्यसभा से इसे मंजूरी मिलती है तो हम शीर्ष अदालत जाएंगे। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग इस मामले में पार्टी होगी।
बीजेपी सरकार पर बरसते हुए कुंहलिकुट्टी ने कहा कि पारिवारिक समस्या को आपराधिक करार देकर सत्ताधारी पार्टी राजनीति करने की कोशिश में है। मुस्लिम लीग नेता ने कहा कि केंद्र सरकार इसके जरिए मुस्लिमों के पर्सनल लॉ में दखल देने की कोशिश कर रही है।
बिल में खामियां होने का आरोप लगाते हुए सांसद ने कहा कि इसमें कई सवालों का जवाब नहीं दिया गया है। जैसे तीन तलाक बोलने पर यदि पति जेल जाता है तो फिर पत्नी और बच्चों की देखरेख कौन करेगा।
यही नहीं कुंहलिकुट्टी ने दावा किया कि देश में तीन तलाक की प्रथा नहीं है। लोकसभा में इसी सप्ताह मुस्लिम महिला (शादी के अधिकार का संरक्षण) बिल पारित हुआ था। इस पर कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के सांसदों ने संशोधन सुझाए थे, लेकिन सभी खारिज कर दिए गए।