हैदराबाद में कई तंज़ीमों के उलेमा और मोलवियों ने मिलकर बीफ-पशु की कुरबानी को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया। जिसमें कहा गया है कि बकरीद के मौके पर मुसलमान बीफ-पशु की कुरबानी से बचें ताकि तेलंगाना में अमन की फिज़ा कायम की जा सके।
उलेमा ने मुसलमानों से अपील की है कि वह गाय-बछड़े की कुरबानी से बचें और मदरसों को सलाह दी है कि वह कुरबानी के लिए भेड़ों और बकरों की व्यवस्था करे।
उर्दू घर मोग़लपुरा में आयोजित एक बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में कहा गया, हालांकि गाय को छोड़कर सभी पशु पर बलि की अनुमति है लेकिन देश के मौजूदा हालात को ध्यान में रखते हुए सावधानी बरतनी चाहिए ताकि असामाजिक तत्वों को प्रदेश की फिज़ा बिगाड़ने मौका न मिले।
इस मौके पर मौलाना हमीद मोहम्मद खान (राष्ट्रपति जामत-ए-इस्लामी तेलंगाना और उड़ीसा), मौलाना मुफ्ती सादिक मोहिउद्दीन, मौलाना मुफ्ती अबरारुल हसन, मौलाना शाह मोहम्मद फसीहुद्दीन निजामी, डॉ. आसिफ उमरी, श्री मोहम्मद अजहरुद्दीन, श्री मोहम्मद फारूक, मौलाना हबीब अहमद कास्मी मौजूद थे।
ओलेमा ने गौ रक्षा के नाम पर जारी हिंसक घटनाओं पर चिंता व्यक्त की। प्रस्ताव में यह साफ कहा गया कि यह फैसला डर या धमकी के कारण नहीं लिया गया है। यह फैसला देश और सूबे में अमन बनाए रखने के लिए किया गया है।