दुर्भाग्य से इस देश में महिला के चरित्र, दलित की प्रतिभा और मुसलमानों की देशभक्ति पर हमेशा से शक किया जाता रहा है। लेकिन आज एक ऐसे मुस्लिम देशभक्त की कहानी बताएंगे जिसके द्वारा देश के लिए किये गए कार्य को जानकर कम से कम मुसलमानों की देशभक्ति पर सवाल उठाने वालों के जुबान पर ताला जरूर लग जाएगा।
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हैदराबाद के सातवें निजाम मीर उस्मान अली खान ने चीन से होने वाले संभावित युद्ध की तैयारियों के लिए जरूरी पैसों की पूर्ति करने के लिए पूरा 5 टन सोना भारत सरकार को दान कर दिया था। 1965 में दान किये गए 5 टन सोने की कीमत आज के जमाने मे करीब 1500 करोड़ रुपए होगी।
इस दान की अहमियत का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि भारतीय इतिहास में ना इससे पहले और ना इसके बाद व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से इतना बड़ा दान दिया गया। निजाम और उनके द्वारा देशहित के लिए दिया गया दान इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया।
कहानी कुछ ऐसी है कि 1965 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध मे जीतने के बावजूद भारत की आर्थिक हालत काफी पतली हो गई थी। क्योंकि 1962 में चीन से हुए युद्ध में हुई भयंकर जान-माल की हानि से ढंग से उबर पाने से पहले पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध ने भारत को आर्थिक मोर्चे पर पस्त कर दिया था।
यही कारण रहा कि पाकिस्तान से युद्ध जीतने के बावजूद आर्थिक मोर्चे पर अपनी कमजोर स्थिति को देखते हुए भारत को हर समय चीन के दोबारा आक्रमण का डर सता रहा था। ऐसे में भारतीय सेना को युद्ध के लिए जरूरी सभी हथियारों से लैस करने हेतु जरूरी पैसे जुटाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने रियासतों के मालिकों से मदद की अपील की।
ऐसे समय में हैदराबाद के तत्कालीन निजाम मीर उस्मान अली खान ने सामने से प्रधानमंत्री शास्त्री जी को हैदराबाद बुलाया और अपनी तरफ से 5 टन सोना ‘राष्ट्रीय रक्षा कोष’ में सहर्ष दान कर दिया।