नई दिल्ली: एक बैठक में तीन तलाक़ दिए जाने के खिलाफ लोक सभा में मंजूर तीन तलाक़ बिल के खिलाफ अब मुस्लिम महिलाओं ने मोर्चा खोल दिया है। ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ बोर्ड महिला विभाग की ओर से यहाँ आयोजित एक आम बैठक में खुले तौर पर कहा गया कि यह बिल असंवैधानिक और गैर क़ानूनी है। इसलिए सरकार अपना फैसला वापस ले।
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मुस्लिम महिलाओं ने यह भी ऐलान किया कि वह शरीअत में सुरक्षित हैं और उन्हें शरीअत या मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखल अंदाजी बर्दाश्त नहीं है। मिल्ली मॉडल स्कूल ओखला में मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड महिल;अ विभाग की अध्यक्ष डाक्टर अस्मा जोहरा की अध्यक्षता में आयोजित महिलाओं के आम बैठक में तीन सदस्यीय प्रस्ताव मंजूर की गई जिसे भारत सरकार को मेमोरेंडम की रूप में भेजा जायेगा।
पहली प्रस्ताव में कहा गया है कि हम मुस्लिम महिलाएं मुस्लिम पर्सनल लॉ में किसी भी तरह की दखल के सख्त खिलाफ हैं। दूसरी प्रस्ताव में कहा गया है कि हम मुस्लिम महिलाएं राज्य सभा में लंबित तीन तलाक़ बिल को असंवैधानिक, गैर क़ानूनी, महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार व दुर्व्यवहार करार देती हैं और मांग करती हैं कि इसे फौरी तौर पर वापस ले लिया जाए। तीसरी प्रस्ताव में कहा गया है कि हम मुस्लिम महिलाएं सिर्फ और सिर्फ मामले और मसले में मुस्लिम पर्सनल लॉ चाहती हैं, और हम सब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ हैं।
डाक्टर अस्मा जोहरा ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार को मुसलमानों की शिक्षा व तरक्की से ज्यादा उनकी ईमान, आस्था और शरीअत के कानून में दखल करने, मुसलमानों के पारिवारिक तंत्र को तहस नहस करने में दिलचस्पी है। उनहोंने कहा कि दूसरी समाज और पारिवारों में इस वक्त जो तबाही मची हुई है उसी तरह सरकार चाहती है कि मुस्लिम समाज और परिवारों को भी तबाही के रास्ते पर पहुंचा दिया जाए।