‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के स्कॉलरशिप में मुस्लिम छात्रों को नजरअंदाज किया गया

अंग्रेज़ी दैनिक टाइम्स ऑफ इंडिया ने पूरे देश में ऑनलाइन टेस्ट कराए, फिर चयनित छात्रों का जजों ने इनट्रव्यु लिया। पूरे देश से चुने गए उन नौजवानों को टाइम्स ऑफ इंडिया की ओर से ‘स्पार्क’ कार्यक्रम के तहत स्कॉलरशिप मिलेगी।

इस टेस्ट में नौजवानों की देसी व विदेशी मामलों के बारे में जांची गई थी। टेस्ट और इनट्रव्यु के चरणों से गुजर कर 300 छात्र व छात्राओं का चयन हुआ, जिनके नाम और फोटो टाइम्स ऑफ इंडिया की 17 मार्च के एडिशन में छपे हैं।

उन 300 चयनित नौजवानों में से सिर्फ एक या ज़्यादा से ज़्यादा 3 मुस्लिम नौजवान हैं (2 के नाम स्पष्ट नहीं हैं)। इस संबंध में दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन डॉक्टर ज़फरुल इस्लाम खान ने टाइम्स ऑफ इंडिया के चीफ एडिटर जय डीप बॉस को पत्र लिखकर इस टेस्ट और स्कॉलरशिप के कार्यक्रम के लिये बधाई देते हुए अपने दुख का इज़हार किया।

उन्होंने कहा कि इस टेस्ट में सिर्फ 3.05 फीसद या ज़्यादा से ज़्यादा 1 फीसद कामियाब नौजवान मुसलमान हैं। डॉक्टर ज़फरुल इस्लाम ने अपने पत्र में लिखा है कि मीडिया ज्ञानी है नए रास्ते दिखता है और राष्ट्र के ज़मीर के तौर पर काम करता है। इसलिए उसकी जिम्मेदारी है कि न सिर्फ सबको साथ लेकर चले बल्कि ऐसा ज़ाहिर भी करे कि वह सबको साथ लेकर चल रहा है।