सरकारी स्कूल की 10वीं कक्षा में पढ़ने वाले नदीम खान एक मजदूर के बेटे हैं और संस्कृत से उन्हें खास लगाव है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया को उन्होंने बताया , ‘संस्कृत मुझे बाकी भाषाओं में सर्वश्रेष्ठ लगती है। यह मुझे कभी भी अजीब नहीं लगी जबकि मुझे पता है कि इस भाषा में बातचीत का मौका मुझे शायद ही कभी मिलेगा। इस कॉम्पिटिशन से मुझे इस भाषा के लिए अपना समर्पण दिखाने का मौका मिला। नदीम आगे बताते हैं,’मेरी संस्कृत क्लास में टीचर भी कभी संस्कृत भाषा का प्रयोग नहीं करते। उनके अनुसार सिर्फ संस्कृत लिखने में ही फोकस करें। इस वजह से मैं स्पष्ट रूप से संस्कृत में बात नहीं कर पाता हूं।’ प्रतियोगिता, में 200 स्कूलों के करीब 8000 बच्चों ने भाग लिया था।