सरकार का दखल बर्दाश्त नहीं करेंगी मुस्लिम महिलाएं

मुस्लिम समुदाय की महिलाओं ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के सदस्यों से पहले खुद को “सुधार” करने के लिए प्रतिज्ञा की है। साथ ही ये स्पष्ट किया कि वे अपने धर्म और विश्वासों में सरकार के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेंगी।

भोपाल में आयोजित पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने कहा की हम अपने समुदाय से महिलाओं द्वारा हस्ताक्षर किए गए ज्ञापन भारत के राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, महिला आयोग और विधि आयोग से भेज देंगे और उन्हें बताएं कि हम ‘परेशान’ नहीं हैं।

एआईएमपीएलबी के कार्यकारी सदस्य असमा ने कहा, “इस्लाम ने मुस्लिम महिलाओं को 1,400 साल पहले ही सारे अधिकार मुहैया कराई थी। ये सब के लिए मीडिया ज़िम्मेदार है कि मुस्लिम महिलाएं खतरें में हैं। तीन तलाक़ को ले कर उन पर ज़ुल्म हो रहा है। हालांकि ऐसा कुछ नहीं था।”

साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि “हम शरीयत में कोई बदलाव नहीं करना चाहते अगर हमारे पास कोई सामाजिक समस्या है, तो हम उन्हें खुद को हल करेंगे। हमें किसी भी सरकारी या कोर्ट की मदद की ज़रूरत नहीं है।”

इसी सिलसिले में ज़ेहरा ने महिलाओं से शिक्षित होने के लिए कहा, “जब तक हम शिक्षित नहीं होते, तब तक हम अधिकार नहीं प्राप्त कर सकते।”

कानून मंडल के अध्यक्ष खली-उल्लाहरहमान सजाद नोमनी ने कहा, “हम सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन जिस तरह से इसे प्रचारित किया गया है उससे हम असहमत हैं। कुछ ऐसे हिस्से हैं जिनसे हम सहमत नहीं हैं।”

नोमनी ने संवाददाताओं से कहा कि भविष्य में, वे मुसलमान महिलाओं के जनमत संग्रह को देखना चाहते हैं ताकि वे तीन तलाक़ के बारे में अपने विचारों के बारे में फैसला कर सकें।

उन्होंने मौजूदा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार आरएसएस द्वारा चल रही है। वे समान नागरिक संहिता को लागू करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को तोड़ने के लिए शाजिश की गई है।