देश में हिन्दू मुस्लिम एकता की तस्वीर अक्सर देखने मिलता है, जहां एक दुसरे के धर्म का सम्मान कर भाईचारे की मिशाल पेश की जाती है। कभी मुस्लिम द्वारा हिंदू देवी देवताओं की पूजा करके एकजुटता का संदेश दिया जाता है,तो कभी वे मुसलमानों के मजहबी कार्यक्रमों में भाग लेकर एकता का संदेश देने का प्रयास करते हैं। ऐसी ही एक तस्वीर कानपुर में देखने मिली है, जहां सीताराम यज्ञ में मुस्लिम महिलाएं शामिल हुईं।
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हालांकि मुस्लिम महिलाओं की इस हरकत पर आलोचना शुरू हो गई है। ऐसा कहा जा रहा है कि मुसलमानों को दूसरों की पूजा में शामिल हो कर उनकी धारणा को नहीं अपनाना चाहिए। अगर किसी धार्मिक कार्यक्रम में जाते भी हैं, तो सिर्फ उपस्थिति के लिए न कि उनकी धारणाओं को अपनाने के लिए जाएं।
बता दें कि कानपूर के सचेंडी थाना के पलरा गाँव में 25 अक्टूबर से 4 नवम्बर तक सीताराम महा यज्ञ किया गया, जिसमे मुस्लिम महिलाएं शामिल होकर यज्ञ स्थल का परिक्रमा करती नजर आई। इन महिलाओं का कहना है कि लोगों को सभी धर्मों पर यकीन करना चाहिए, इसलिए इस यज्ञ में शामिल हो कर रश्म के मुताबिक चक्कर लगाये हैं। उनहोंने यह कहा कि हिन्दू मुस्लिम सभी जब एक साथ रहते हैं, तो उनके धार्मिक पूजा में शामिल होने में क्या हर्ज है।
वहीँ कुछ दिन पहले भी बनारस में कुछ मुस्लिम महिलाओं ने इसी प्रकार पूजा में भाग ली थी जिसके फतवा जारी कर उन्हें इस्लाम से ख़ारिज कर दिया गया था,लेकिन कानपुर की ये महिलाएं इसके बारे में अनजान हैं।