आज सोशल मीडिया पर एक वीडियो देखा जिसमें कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूदो व सीरिया के शरणार्थी का अपने देश में गर्मजोशी से स्वागत करते हुए दिखाई दे रहे हैं। वह उदास भी हैं मगर बड़े ही दरियादिली से कहते हैं कि यह देश आपका है, यह आपका घर है। वह यह कहते हुए भी सुने जा सकते हैं कि आज की रात यह लोग शरणार्थी के तौर पर यहाँ क़दम रख रहे हैं मगर अब हेल्थ कार्ड और इंश्योरेंस नंबर के साथ यह कनाडा के नागरिक होंगे। यह सीरियाई शरणार्थी उस कनाडा के विमान से यहाँ पहुंचे थे जिन्हें लाने के लिए यह विमान खास तौर पर भेजा गया था।
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कनाडा ने 25 हजार सीरियाई शरणार्थी को न सिर्फ पनाह बल्कि नागरिकता देने का ऐलान किया है। वीडियो देखकर शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जो जज्बाती हुए बगैर रह पायेगा। साथ ही, वह ट्रूडो को पसंद करे न करे उनकी इस इंसानियत की वजह से उनका तहे दिल से शुक्रिया जरूर अदा करेगा।
यह वीडियो देखकर मेरे दिल व दिमाग में भी कई एहसास करवटें लेने लगे। दिमाग पर बहुत जोर डाला उस आरजू और तमन्ना के साथ कि काश किसी भी मुस्लिम देश का शासक, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या कोई भजी संघीय, कैबिनेट मंत्री या आर्मी चीफ की कोई एसी तस्वीर या वीडियो याद आ जायेगे जिसमें वह भी युद्धग्रस्त देश खासकर सीरिया, यमन, अफगानिस्तान और इराक़ में से किसी के भी शरणार्थी को इसी तरह गले लगता हुआ दिखाई पड़ जाए।
मगर मेरी यह दिली ख्वाहिश पूरी न हो सकी। लेकिन इस कशमकश के बीच तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान की वह तस्वीर ज़रूर याद आई जब वह म्यांमार में सरकार और वहां की बहुत के मानवता विरोधी ज़ुल्म के शिकार रोहिंग्या मुसलमानों की मदद के लिए यांगून पहुंच गये थे। इनके अलावा किसी और मुस्लिम शासक, राष्ट्रपति या नेता का चेहरा जो इस तरह जहन्नुम की जिंदगी जीने वाले तबाह हाल मिल्लत की एसी कोई मदद करता हुआ मुझे कोई याद नहीं आया।