यरूशलम मामले पर मुस्लिम जगत के अंतरराष्ट्रीय नेताओं ने हिंसा और खूनखराबे की दी चेतावनी

यरूशलम को इसराइल की राजधानी के रूप में मान्यता दिए जाने के अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के फैसले की काफ़ी आलोचना हो रही है. मुस्लिम जगत के नेताओं और अंतरराष्ट्रीय जगत ने इसकी तीख़ी आलोचना की है और इसके कारण संभावित हिंसा और खूनखराबे की चेतावनी दी है.

मुस्लिम जगत के नेताओं और व्यापक अंतरराष्ट्रीय जगत जगत की प्रतिक्रिया

फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने इस फैसले को ‘एक दशक तक मध्यस्थ की भूमिका निभाने के बाद, शांति समझौते में अपनी भूमिका से अमरीका को पीछे हटने वाला’ बताया है.

पोप फ़्रांसिस ने कहा है, “मैं सभी से अपील करता हूं कि संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों के अनुरूप वो यथास्थिति का सम्मान करें.”

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंतोनियो गुटेरेस ने कहा कि ‘ट्रंप का बयान इसराइल और फ़लस्तीन के बीच शांति की संभावनाओं को बर्बाद कर देगा.

यूरोपीय संघ ने कहा है कि ‘दो राष्ट्र के हल की ओर अर्थपूर्ण शांति प्रक्रिया को बहाल किया जाए और बातचीत के मार्फ़त एक रास्ता तलाशा जाए.’

फ़्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने कहा कि ‘ट्रंप का फैसला अफसोसजनक’ है. उन्होंने ‘किसी भी क़ीमत पर हिंसा को रोकने की कोशिश’ करने की अपील की है.

सऊदी अरब किंग सलमान ने फ़ोन पर ट्रंप से कहा, “अंतिम समझौते से पहले यरूशलम की स्थिति के बारे में तय करना शांति प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाएगा और इलाक़े में तनाव बढ़ाएगा.”

मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फ़तह अल सीसी ने भी चेताया है, “मध्यपूर्व में शांति की उम्मीद को कमज़ोर करने वाले किसी भी कदम से इलाक़े में स्थिति और जटिल होगी.”

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली ख़ामनेई ने कहा, “यरूशलम को यहूदी राज की राजधानी घोषित करना हताशा भरा कदम है. फलस्तीन के मुद्दे पर उनके हाथ बंधे हैं और वे अपने लक्ष्य में सफल नहीं होंगे.”

चीन और रूस ने चिंता जताते हुए कहा है कि ‘इससे इलाक़े में अंशांति फैलेगी.’ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीज़ा मे ने कहा कि’ ब्रिटेन की सरकार अमरीकी फैसले से असहमत है, जोकि इलाक़े में शांति के लिहाज से बिल्कुल भी मददगार नहीं है.’

उन्होंने कहा कि ‘यरूशलम की स्थिति अंततः एक साझा राजधानी के रूप में तय की जानी चाहिए.’उन्होंने कहा, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के मुताबिक, हम पूर्वी यरूशलम को कब्ज़े वाले फ़लस्तीनी इलाक़े के रूप में देखते हैं.”