“ईद के दिन काली पट्टी बांधकर नमाज़ पढ़े मुसलमान”

हमीं को क़ातिल कहेगी दुनिया हमारा ही क़त्लेआम होगा,
हमीं कुँए खोदते फिरेंगें हमीं पे पानी हराम होगा !

मोहसिन, अख़लाक, नोमान, मिन्हाज़ अंसारी, पहलू खान, नईम और अब बल्लभगढ का जुनैद…….आंकड़े गिनना मुश्किल है

ना कोई विरोध ना कोई बडा आंदोलन, हम इंतज़ार करते हैं कि हमारा कोई नेता हमारे मुद्दे पर आवाज़ उठा देगा, लेकिन क़ौम के मसीहा अभी अफ़्तारियों में मशगूल है, ईद मनाने की तैय्यारियों में लगे हैं !

वो इंतज़ार कर रहे हैं कि संसद सत्र शुरू हो तो वहॉं लफ़्फाज़ियॉं करके क़ौम को बतायेंगे कि देखो हमने संसद में तुम्हारी आवाज़ उठायी !

ईद हमारे सामने है…….लेकिन ईद की ख़ुशियों के नाम पर ख़ून से सनी हुई तमाम लाशों की तस्वीरें हैं

हम लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत करते हैं, हम ईद के कपडे पहनेंगे तो अपनी बॉंह पर एक काली पट्टी भी बॉंधेंगे, और तस्वीर खींचकर सोशल माडिया पर डालेंगे। इस तरह से अपने इस विरोध को सरकार तक पँहुचायेंगेट्विटर, फेसबुक की दीवारों को भर देंगे एैसी तस्वीरों से।

आप भी साथ दीजिये, अपना विराध दर्ज करवाइये ! जिससे भीड किसी और को मज़हब और अलग पहचान की वजह से मार न दे