पुलिस में मुसलमानों की संख्या बहुत कम, जेलों में बहुत ज्यादा तादाद- रिपोर्ट

पुलिस में मुसलमानों की भागीदारी को लेकर एक रिपोर्ट आई है. इस रिपोर्ट में कई सारे चौकाने वाले ख़ुलासे हुए हैं. 

गैरसरकारी संस्था कॉमन कॉज और लोकनीति-प्रोग्राम फॉर कॉम्पेरेटिव डेमोक्रेसी (सीएसडीएस) की साझा रिपोर्ट में मुस्लिम प्रतिनिधित्व को लेकर नए तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट में मुस्लिम की भागीदारी बेहद कम है.

लेकिन जेल में बंद कैदियों में मुस्लिमों का अनुपात बेहद चौकाने वाला है. इसके अलावा रिपोर्ट में मुस्लिम समुदाय के लडको को आतंकवाद के झूठे आरोप में गलत तरीके से फ़साने की भावना भी बड़े पैमाने पर पाई गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक साल 2013 में भारत में अपराध   के अंतर्गत नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरों पुलिस में मुस्लिमों के बारे में जानकारी देता था. इस प्रक्रिया को 5 साल पहले बंद करने से पक्षपात की समस्या बढ़ने की बात कही गई है. 

साथ ही सर्वे में शामिल सभी राज्यों में मुस्लिम कैदियों की संख्या जनसँख्या के अनुपात में बहुत ज्यादा है . जानकारी के लिए बता दें की सच्चर सिमिति ने विभिन्न छेत्रों में मुस्लिमों का प्रतिनिध्तव  बढ़ाने के वकालत की थी.

समिति ने आबादी के हिसाब से मुस्लिमों की हिस्सेदारी को कम बताया था. साथ ही इस ठीक करने के तरीके भी बताये थे. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई ठोस क़दम नहीं उठाया गया है.