बर्लिन: पिछले कुछ समय से जर्मनी समेत पूरे यूरोप में मुसलमान अपने मजहबी मामले को लेकर काफी परेशानियों का सामना कर रहे हैं और तीखी आलोचनाओं का शिकार हैं। इसकी एक मिसाल फिर देखने को मिली जब यहाँ के एक हाई स्कूल ने मुस्लिम छात्रों को खुलेआम नमाज पढ़ने, वजू करने और नमाज़ के लिए जानमाज के इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी।
समाचार चेनल अल जज़ीरा के अनुसार, जर्मनी के एक स्कूल ने खुले आम नमाज पढ़ने, जानमाज का इस्तेमाल करने और वजू को दूसरे छात्रों के लिए “भड़काऊ” बताया है। खबर के मुताबिक, पश्चिमी जर्मनी के वुपरताल स्थित एक स्कूल ने फरवरी में अपने स्टाफ को चिट्ठी लिखकर मुसलमान छात्रों द्वारा स्कूल परिसर में नमाज पढ़ने की सूचना देने के लिए कहा है। स्कूल के इस फैसले के बाद जर्मनी में धार्मिक आजादी के अधिकार को लेकर एक सवालिया निशान लग गया है।
स्कूल के प्रवक्ता ने मीडिया से से कहा कि स्कूल में इसकी अनुमति नहीं है कि मुस्लिम छात्र नमाज़ पढ़ें। इससे दूसरे छात्र दबाव महसूस करते हैं। उन्होंने कहा, “पिछले कुछ समय से यह साफ दिख रहा था मुस्लिम बच्चे दूसरों के सामने ही नमाज़ पढ़ रहे हैं। बाथरूम में वजू कर रहे हैं, सबके सामने अपने जानमाज को लपेटते थे, अपने शरीर को एक खास मुद्रा में मोड़ते थे।
स्कूल प्रशासन का ये पत्र पिछले हफ्ते फेसबुक पर पोस्ट होने के बाद कई सोशल मीडिया यूजर ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। लोगों की आलोचना के बाद स्कूल के संचालक ने सफाई देते हुए कहा कि इस पत्र में “गलत” शब्दों का चयन किया गया है लेकिन इसका मकसद इन बच्चों को नमाज़ पढने के उपाय निकालने पर चर्चा करवाना है। संचालक ने यहाँ तक कहा कि उन्हें स्कूल को बच्चों को इससे रोकने का अधिकार है। स्थानीय प्रशासन ने भी कहा है कि वो स्कूल के फैसले के साथ हैं।