मेरी हिंदी बहुत कमजोर थी, इसलिए प्रधानमंत्री नहीं बन पाया: प्रणब मुखर्जी

पूर्व राष्ट्रपति व लंबे समय तक राजनीति में सक्रिय रहने वाले प्रणब मुखर्जी इस बार वह अपनी आत्मकथा के तीसरे खंड ‘कोअलिशन ईअर्स : 1996-2012’ की चर्चा को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में हैं।

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उनहोंने अपनी आत्मकथा के तीसरे खंड ‘कोअलिशन ईअर्स : 1996-2012’ में अपने राजनीतिक सफर को लेकर कई अहम खुलासे किए हैं। अपनी आत्मकथा पर बात करते हुए पूर्व राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री ना बन पाने को लेकर बड़ी बात कही है।

एक इंटरव्यू में डॉक्टर मुखर्जी ने बताया कि उनका प्रधानमंत्री न बन पाने का सबसे बड़ा कारण उनकी हिंदी का कमजोर होना था। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहम सिंह तारीफ करते हुए कहा कि वे बहुत अच्छे प्रधानमंत्री थे।

मैंने खुद को कभी पीएम बनने के लायक इसलिए नहीं समझा क्योंकि मेरे पास लोगों से कम्यूनिकेट करने का कोई उचित साधन नहीं था। पूरे देश में हिंदी बोलने और समझने वाले लोगों की तादाद ज्यादा हैं और मेरी हिंदी बहुत कमजोर थी।

प्रणब मुखर्जी की आत्मकथा की लॉन्चिंग के वक्त पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने खुद भी यह बात कही थी कि प्रधानमंत्री पद के लिए प्रणब मुखर्जी बेहतर थे।