संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार ने कई देशों के नेताओं द्वारा लगाए गए मुसलमानों का ‘जातीय सफाया’ के आरोपों का खंडन किया है। म्यांमार के दूत हाऊ डो सुआन ने कहा कि यह आरोप निराधार हैं।
दरअसल, म्यांमार पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख जैद राद अल हुसैन और संयुक्त अरब अमीरात सहित कई इस्लामिक देश के नेताओं ने रोहिंग्या मुसलमानों से पीछा छुड़ाने का आरोप लगाया था।
इन नेताओं के दावों को खारिज करते हुए सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के छह दिवसीय सत्र के अंतिम दिन सुआन ने कहा, ‘‘वहां कोई जातीय सफाया नहीं हुआ है। कोई नरसंहार नहीं हुआ है। लंबे समय तक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले म्यांमार के नेता ऐसी नीतियों का समर्थन नहीं करेंगे। हम जातीय सफाए और नरसंहार को रोकने के लिए सबकुछ करेंगे।’’
उन्होंने 193 सदस्य वाले विश्व निकाय में विभिन्न देशों के नेताओं के भाषणों में लगाए आरोपों को निराधार और ‘गैर जिम्मेदाराना टिप्पणियां’ बताया। उन्होंने रखाइन मुद्दे को ‘‘अत्यंत जटिल’’ बताया और संरा के सदस्य देशों और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से अनुरोध किया कि वे उत्तरी रखाइन में हालात को तटस्थ भाव से और निष्पक्ष ढंग से देखें।
बता दें कि म्यांमार की इस हिंसा में महिलाओं के साथ भी काफी बर्बरता की गई है। बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में रोहिंग्या मुस्लिम महिलाओं का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने उनके शरीर पर जख्म के निशान देखे हैं। कॉक्स बाजार और दूसरे शरणार्थी शिविरों में महिलाओं का इलाज कर रहे यूएन के डॉक्टरों और हेल्थ वर्करों ने कहा कि महिलाओं के शरीर पर जख्म उनके साथ हुए रेप की निशानी हैं।