म्यांमार सेना ने पहली बार माना, रखाइन हिंसा में शामिल थे सैनिक

म्यांमार की सेना ने पहली बार माना है कि उसके सैनिक रखाइन प्रांत में भड़की हिंसा के दौरान रोहिंग्या मुसलमानों की हत्या में शामिल थे। हालांकि सेना ने सिर्फ एक मामले में इसको स्वीकार किया है। सेना के मुताबिक़ म्यांगदो के इन दीन गांव में 10 लोगों की हत्या में सुरक्षा बलों के चार जवान शामिल थे।

सेना की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चारों जवानों ने प्रतिशोध के तौर पर उनके शब्दों में ‘बंगाली आतंकवादियों’ पर हमला करने में ग्रामीणों की मदद की थी। सेना रोहिंग्या चरमपंथियों के लिए ‘बंगाली आतंकवादी’ शब्द का इस्तेमाल करती है।

पिछले साल अगस्त में भड़की हिंसा के बाद से साढ़े छह लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमान रखाइन से भागकर पड़ोस के बांग्लादेश में शरण ले चुके हैं। हिंसा के दौरान सामूहिक हत्याओं, बलात्कार और अत्याचार की दर्दनाक कहानियां सामने आई थीं।

रोहिंग्या मुसलमानों का आरोप है कि सेना और स्थानीय बौद्धों ने मिलकर उनके गांव जला दिए और उन पर हमले किए। सेना ने आम लोगों पर हमले करने के आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि उसने सिर्फ रोहिंग्या चरमपंथियों को निशाना बनाया था। म्यांमार ने पत्रकारों और बाहरी जांचकर्ताओं को रखाइन प्रांत में स्वतंत्र रूप से घूमकर पड़ताल की इजाज़त नहीं दी थी।