इच्छामृत्यु की मांग करने वाले बुजुर्ग दंपती- पत्नी ने पति से कहा, ‘मेरा गला घोंट दो’

नारायण लावटे (87) और उनकी पत्नी इरावती (78) दंपती दक्षिणी मुंबई के चारणी रोड स्थित ठाकुरद्वार में रहते हैं। दरअसल इस बुजुर्ग दंपती की कोई संतान नहीं है और न ही कोई गंभीर बीमारी भी नहीं है। अब उनको लगता है कि समाज के लिए उनकी कोई उपयोगिता नहीं रह गई है और अपनी देखभाल करने में भी सक्षम नहीं हैं। नर्स अरुणा शानबॉग की इच्छामृत्यु के लिए जब केईएम अस्पताल ने दया याचिका दायर की थी तब इसे पढ़कर इस दंपती को भी इसका विचार आया था।

21 दिसंबर को उन्होंने अपने बुढ़ापे का कोई सहारा न होने का हवाला देते हुए अपना जीवन खत्म करने की आज्ञा के लिए एक पत्र लिखा था। उन्होंने राष्ट्रपति ने यह भी जिक्र किया था वह 31 मार्च 2018 तक उनके जवाब का इंतजार करेंगे। लेकिन दो महीने बीतने के बाद उन्हें इस बात का यकीन है कि उनकी याचिका को गंभीरता से नहीं लिया जाएगा इसलिए उन्होंने हत्या की योजना बनाई है।

पत्नी ने लिखा पति को मार्मिक पत्र 
इसके लिए रिटायर्ड स्कूल प्रिसिंपल इरावती ने महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम के पूर्व सुपरवाइजर नारायण को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने लिखा कि 31 मार्च के बाद वह कभी उन्हें गला घोंटकर मार सकते हैं। इसके बदले में नारायण को भी मौत की सजा हो जाएगी।

इरावती ने अपने पति के नाम पत्र में लिखा, ‘आपने हम दोनों के लिए इच्छामृत्यु की मांग की है लेकिन मुझे लग रहा है कि राष्ट्रपति हमारी याचिका नहीं सुनेंगे। इस वजह से मुझे केवल एक हल दिखता है कि 31 मार्च के बाद आप कभी भी मेरा गला घोंटकर मुझे मार सकते हैं और इस संसार से मुक्त कर सकते हैं। और यह एक योजनापूर्ण हत्या होगी इसलिए कोर्ट से आपको भी इस अपराध के लिए फांसी मिल जाएगी। उनके पास कोई ऑप्शन नहीं है कि आपकी मरने की इच्छा भी पूरी हो जाएगी।’

मीडिया में मिली सुर्खियों में कहा गया था कि यह जोड़ा जिंदगी से ऊब चुका है। नारायण ने मिरर को बताया कि मामला सिर्फ बोरियत होने से अलग है। यह समझदारी है। उन्होंने कहा, ‘हमें पता है कि हमारा स्वास्थ्य फिलहाल ठीक है कोई बड़ी स्वास्थ्य समस्या नहीं है लेकिन हमें अमरत्व तो प्राप्त नहीं है तो हम अपनी स्थिति के बद से बदतर होने का इंतजार क्यों करें? और तब क्या होगा जब दोनों में से किसी एक की मृत्यु हो जाएगी।’

इस दंपती ने बताया कि उन्होंने संतान पैदा नहीं कि क्योंकि वह देश की आबादी बढ़ाने को सामाजिक अपराध मानते हैं। नारायण कहते हैं, ‘अब हमारे पास अपने अपने अंग दान देने के अलावा समाज को देने के लिए कुछ नहीं है।’ दंपती ने अपने अंगदान के लिए मुंबई के जेजे अस्पताल में भी रजिस्टर कराया है।