फेयरनेस क्रीम का विज्ञापन करने वालों पर भड़के नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी, ट्वीट कर जीता लोगों का दिल

अब बॉलीवुड एक्टर नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी ने भी गोरा बनाने की क्रीम के प्रचार और विज्ञापन को गलत बताया है । इससे पहले अभय देओल और डायरेक्टर नंदिता दास भी गोरे बनाने वाली क्रीम के विज्ञापनों पर एतराज जता चुके हैं ।

समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए नवाज़ुद्दीन ने कहा- गोरेपन की क्रीम का प्रचार करना शर्मनाक है और सेलेब्रिटीज को इससे दूर रहना चाहिए । इतना ही नहीं नवाज़ुद्दीन ने ये भी कहाकि गोरेपन की क्रीम को प्रमोट करना बेशर्मी है।

स्टार्स को इसे एंडोर्स करना बंद करना चाहिए । मैं ऐसा कहता रहूंगा और मैं हमेशा कहता हूं कि लोगों को खुद पर शर्म आनी चाहिए कि वो फेयरनेस क्रीम को एंडोर्स करते हैं।

जुलाई में भी नवाजुद्दीन ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर कहा था- धन्यवाद मुझे अहसास दिलाने के लिए कि मैं किसी फेयर और हैंडसम के साथ मेरी जोड़ी नहीं बनाई जा सकती क्योंकि मैं डार्क और अच्छा दिखने वाला नहीं हूं लेकिन मैंने कभी उसपर ध्यान नहीं दिया।

 

अपने ट्विट के जरिए नवाज ने इंडस्ट्री के एक कास्टिंग डायरेक्टर पर निशाना साधा था जिसने उन पर रेसिस्ट टिप्पणी की थी। नवाज़ुद्दीन ने कहा- आप जो भी महसूस करते हैं हमेशा उसे जाहिर करें और अपने विचारों को सामने रखने से डरें नहीं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि परिस्थिति कितनी मुश्किल होती है। और मुझे लगता है कि मैंने उस जगह को हासिल कर लिया है जहां अगर मुझे कुछ गलत लगता है तो मैं अपने विचार रख सकता हूं।

कहा जा रहा था कि नवाजुद्दीन ने कास्टिंग डायरेक्टर संजय चौहान पर निशाना साधा है जिन्होंने इसी तरह का बयान डेक्कन क्रॉनिकल को दिए इंटरव्यू में कहा था । हालांकि बाद में चौहान ने सफाई देते हुए कहा था कि मुझे पूरी तरह से गलत कोट किया गया । मैंने सिर्फ़ इतना कहा था कि फिल्म में नवाज की तरह ही अच्छे एक्टर्स चाहिए। मुझे नहीं पता कि कहां से फेयर एंड हैंडसम जैसे शब्द आ गए। लेकिन मैंने कभी ऐसा नहीं कहा।

बदलापुर, बजरंगी भाईजान और रईस जैसी कई कर्मिशयल हिट फिल्में दे चुके नवाज़ुद्दीन का कहना है कि उनकी छोटे बजट की फिल्में ही हैं जो उन्हें एक कलाकार के तौर पर अपने विभन्न रूपों को बाहर लाने के लिए उत्साहित करती हैं।

नवाजुद्दीन ने पीटीआई से कहा- ‘मैं हमेशा विशेष प्रवृत्ति की फिल्मों का चयन नहीं कर पाता। मांझी और रमन राघव 2.0 जैसी मेरी सभी एकल फिल्में अलग तरह की थीं। वे सामान्य बॉलीवुड फिल्में नहीं थीं, जो अधिकतर दर्शकों की पसंद होती हैं।’

नवाज़ुद्दीन के गोरेपन की क्रीम पर दिए बयान से एक बार चर्चा शुरु हो गई है कि क्या इंसान का काला-गोरा होना ही सफ़लता असफलता तय करता है । शाहरुख खान, जॉन इब्राहिम, अर्जुन रामपाल समेत कई एक्टर गोरे होने की क्रीम के विज्ञापनों में नज़र आते हैं ।