जम्मू-कश्मीर बीजेपी अध्यक्ष ने दिया विवादित बयान, कहा- ‘राज्यपाल हमारा बंदा है’

भारतीय जनता पार्टी की जम्मू कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रविंदर रैना ने राज्य के नए राज्यपाल सत्यपाल मलिक को लेकर बेहद विवादित बयान दिया है। उन्होंने नए राज्यपाल के बारे में कहा कि वह ‘हमारा बंदा’ है। गुरुवार को वायरल हुए एक वीडियो क्लिप में रैना अपने आसपास के लोगों से कहते दिखाई दे रहे हैं, ‘अब जो गवर्नर आया है, वो हमारा बंदा है।’

रविंदर रैना नौशेरा विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक भी हैं। पहली बार विधायक बने रैना ने इसी वीडियो में दावा किया है कि पूर्व राज्यपाल एन.एन.वोहरा को इसलिए हटा दिया गया क्योंकि वह अपने विचारों पर जोर देते थे और बीजेपी नेताओं की नहीं सुनते थे।

नए राज्यपाल पर रैना के इस विवादित वीडियो से बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि देश में राज्यपालों का तबादला भी बीजेपी की रणनीति का हिस्सा होता है, तभी तो राज्य ईकाई के अध्यक्ष दावा कर रहे हैं कि नया राज्यपाल हमारा बंदा है।

बता दें कि सत्यपाल मलिक ने गुरुवार को जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह के दौरान निवर्तमान राज्यपाल एन.एन.वोहरा मौजूद नहीं थे। राजभवन में मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने सत्यपाल मलिक को पद की शपथ दिलाई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उनकी नियुक्ति के अधिपत्र को मुख्य सचिव बी.वी.आर. सुब्रमण्यम द्वारा पढ़ा गया।

शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती, केंद्रीय राज्यमंत्री (पीएमओ) जितेंद्र सिंह, जम्मू एवं कश्मीर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, विधायकों और वरिष्ठ नौकरशाह और सेना के अधिकारियों ने भाग लिया। जब संवाददाताओं ने उनसे उनकी नियुक्ति के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि राज्यपाल नहीं बोलते।

72 वर्षीय सत्यपाल मलिक केंद्र सरकार में संसदीय कार्य और पर्यटन राज्यमंत्री के अलावा केन्द्र और राज्य सरकारों में कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं।

वह दो बार (1980-86 और 1986-92) राज्यसभा के सांसद भी रहे। वर्ष 1989 से 1991 तक वह उत्तरप्रदेश की अलीगढ़ लोकसभा सीट से सांसद भी रहे।

अपने राजनीतिक जीवन में वह 1974 से 1977 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य भी रहे। वह संसद की कई संसदीय समितियों के अध्यक्ष और सदस्य भी रहे हैं।

सत्यपाल मलिक को 30 सितम्बर 2017 को बिहार का राज्यपाल बनाया गया था, जबकि 21 मार्च 2018 को ओडिशा के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था।