नया साल : इंसान को गुजरे वक़्त का जायजा लेना चाहिए

कहते हैं कि वक़्त बड़ा बलवान होता है और वह कभी नहीं रुकता। दिन शुरू हुआ तो ख़त्म हुए बिना नहीं रहता है। नए साल के कैलेंडर का मुक़ददर भी पुराना हो जाता है और देखते ही देखते इसकी जगह एक नया कैलेंडर ले लेता है। इस दुनिया में ताकतवर से ताकतवर व्यक्ति कभी वक़्त को नहीं रोक पाया है।

वर्तमान दौर में तकनीक का बोलबाला है जिसने घंटों के काम को मिनटों में लाकर समेट दिया है। ऐसा भी मुमकिन है कि भविष्य में इस मिनटों के काम को मात दे दी जाएगी, तकनीक चाहे कितनी भी तरक्की कर उक्त तकनीक वक़्त को नहीं ठहरा सकती। यह इंसान के वश में नहीं है। इंसान वक़्त को बचा तो सकता है लेकिन उसको रोक नहीं सकता है।

वक़्त कभी रुकता नहीं है इसलिए बेहतर यह होगा कि इंसान गुजरे हुए समय का जायजा ले ताकि उसका आकलन किया जा सके। आज गुजरे हुए साल का पहला दिन है और बीते साल का आकलन करना ही इसके स्वागत का बेहतरीन तरीका होगा। इस आकलन में सेकेण्ड, मिनट, घंटे, दिन, सप्ताह, महीने और फिर साल भर का आकलन शामिल होना चाहिए क्योंकि पूरा साल सेकेण्ड, मिनट, घंटे, दिन, सप्ताह, महीने और फिर साल की शक्ल में ही गुजरता है।

वैसे वक़्त को खुद, परिवार, समाज और मुआशिरे के स्तर पर आँका जाये तो यह बेहतर होगा क्योंकि वक़्त जितना खुद के लिए मूल्यवान होता है वह उतना ही परिवार, समाज और मुआशिरे के लिए कीमती होता है।

वक़्त के आकलन करने का फायदा यह भी होगा कि हमें इसकी कद्र और कीमत का एहसास होगा। जहाँ तक शिक्षा की बात है तो इस क्षेत्र में काफी तरक्की हुई है और समाजी और सियासी हालात भी बदले हैं। वैसे जिस रफ़्तार से यह विकास हो रहा है तो दूसरी ओर हालात ख़राब भी हुए हैं और इन हालात की तुलना एक दूसरे से नहीं की जा सकती है लेकिन यह देखना होगा कि बिगड़ रहे हालात और कितना बिगड़ेंगे।

हमारी तरक्की की गति ख़राब हालात के मुकाबले में कम से कम दोगुना हो तो ही वक़्त की तामीरी सर्फ़ का दावा कर सकेंगे अन्यथा हमेशा खराब हालात का रोना ही रोते रहेंगे।