इस सदी के पहले ही साल यानि 11 सितंबर 2001 को न्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और वाशिंगटन के पेन्टागन में दो विमानों को घुसाकर कर पल भर में राख कर दिया था जिसमें काफी लोगों का खून बहा था। उसका बदला लेने के लिए अमरीका ने अनेक बेगुनाहों पर हमले किए और आज भी वह किसी ना किसी सूरत में इंतकाम ले रहा है। अमरीका ने आज तक अपने अनेक विरोधियों को ठिकाने लगाया है।
अफगानिस्तान से लेकर इराक और शाम से लेकर लीबिया तक उसने एक मिलियन से ज्यादा मुस्लिम को मौत के घाट उतारा है। 60 लाख मुसलमान मुहाजिर बने हैं, डेढ़ करोड़ मुसलमानों के सिर पर छत नहीं रही। आज साल का पहला दिन है इसलिए हम आपके दिलो-दिमाग का भारी नहीं करना चाहते हैं क्योंकि एक आदमी के लिए हर दिन अनेक मसायल होते हैं। उसको कई मरहलों से दिन भर गुजरना होता है इसलिए हम एक और भार उस पर नहीं डालना चाहते हैं।
ऐसे में हम इस नए साल के पहले दिन को आपके लिए बोझिल बनाने के बजाय आपके चेहरे पर मुस्कान लाना चाहते हैं। दुनिया के ग़मों का ज़िक्र करने के लिए 354 दिन पड़े हुए हैं तो इस नए और खूबसूरत दिन को क्यों ख़राब किया जाये।
आज का दिन किसी फिरके से जुड़ा हुआ नहीं है भले ही इसको ईसाईयों और अंग्रेजों ने शुरू किया हो लेकिन जिस तरह मगरिबी लिबास हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गया है वैसे ही नया साल भी हमारी जिंदगी का हिस्सा बना हुआ है। हमें उन्हीं के कैलेंडर का मानना पड़ता हूं।
वैसे, यह अलग बात है देश में रहने वाले लोगों का अपना-अपना कैलेंडर है। मुस्लिम समुदाय का अपना कैलेंडर होता है जो उर्दू तारीख से चलता है। हालांकि नया साल कोई धार्मिक त्यौहार नहीं है लेकिन यह हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी इसी से चलती है। हर साल नए साल के जश्न को मामने वालों की तादाद में इज़ाफ़ा हो रहा है और आम आदमी एक दूसरे को बधाई देने में कोई कोताही नहीं करते हैं।
पूर्व में नए साल के जश्न देश के बड़े शहरों तक सीमित था जिसका दायरा आज काफी फ़ैल गया है। वैसे सोशल मिडिया भी एक दूसरे को नए साल की मुबारक देने का अच्छा माध्यम बन गया है तो फिर हम भी इस नई सदी के वयस्क होने का जश्न मनाएं।