नई दिल्ली: अमेरिका की खुफिया एजेंसी (सीआईए) सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी द्वारा सार्वजनिक किए जा रहे दस्तावेजों से कई सनसनीखेज दावे सामने आ रहे हैं। सीएआई के दस्तावेज के अनुसार भारत की आजादी के महज तीन साल बाद 1950 में फील्ड मार्शल (तब जनरल) केएम करियप्पा को जान से मारने की कोशिश की गयी थी।
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सीआईए की इस “गोपनीय” रिपोर्ट के अनुसार तत्कालीन भारतीय सेना प्रमुख करियप्पा की हत्या की कोशिश के लिए छह लोगों को मौत की सजा दी गयी थी। रिपोर्ट में लिखा गया है कि “छह लोगों को हत्या की साजिश से जुड़े होने के लिए मौत की सजा दी गयी थी। माना जा रहा कि कई बड़े सैन्य अफसर भी इस मामले में शामिल थे।
सीआईए की इस रिपोर्ट के अनुसार, जनरल करियप्पा दक्षिण भारतीय हैं इसलिए भारतीय सेना के सिख अफसर उनसे नाखुश थे। आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) सेना के अफसरों के बीच उत्तर-दक्षिण के विभेद का लाभ उठा रहा थे और सिख अफसरों को, जो खबरी की नजर में धोखेबाज और भरोसा करने लायक नहीं, को असंतोष भड़काने के लिए उकसा रहा था। जबकि त्रावणकोर (मौजूदा केरल) मद्रास और महाराष्ट्र के अफसर जनरल करियप्पा के प्रति वफादार थे।
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सेना के पहले भारतीय सैन्य प्रमुख करियप्पा ने 15 जनवरी 1949 को ब्रिटिश सैन्य अफसर जनरल रॉय बुचर से भारतीय सेना प्रमुख की कमान ली थी।
उल्लेखनीय है कि सीआईए की डिक्लासिफाइड रिपोर्ट “रिफ्ट इन ऑफिसर्स कॉर्प ऑफ द इंडियन आर्मी” (भारतीय सेना के अफसर कॉर्प में मतभेद) नामक ये रिपोर्ट 12 जून 1950 को दर्ज की गयी थी। ये जानकारी इस दस्तावेज के माध्यम से पहली बार सामने आयी है। जबकि अमेरिका के गोपनीयता कानून के अनुसार सीआईए एक निश्चित समय के बाद ऐतिहसाकि महत्व के गोपनीय दस्तावेज को सार्वजनिक कर दिया जाता है।