”12 साल जेल में रहने के बाद बाइज्ज़त बरी हुए लोगो पर चर्चा नहीं, जिन्हें बेल मिली वो देशभक्त हो गए”

मालेगांव बम धमाकों के आरोपी कर्नल पुरोहित को ज़मानत मिलन के बाद बयानों का सिलसिला शुरु हो गया है । आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष ने ट्वीट कर मीडिया से सवाल किया है कि जो 12 साल जेल में रहे, कोर्ट ने जिन्हें बाइज़्ज़त बरी किया उनपर चर्चा नहीं पर जिन्हें सिर्फ बेल मिली है वो देशभक्त हो गये, पत्रकारिता ?

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने मालेगाँव बम धमाकों के आरोपी कर्नल पुरोहित को ज़मानत दे दी । जिसके बाद आशुतोष के निशाने पर मीडिया आ गया । आशुतोष ने ट्वीट किया कि आतंकवाद को धर्म के चश्मे से देखने और फ़ैसला सुनाने के नतीजे देश को दीर्घकाल में भुगतने पड़ेंगे, आतंकवादी आतंकवादी है, हिंदू मुसलमान नहीं।

 

 

मीडिया को लेकर आशुतोष का गुस्सा सरासर गलत भी नहीं है क्योंकि आतंकवाद के आरोपों में सालों से बंद लोग जब बाइज्जत बरी होते हैं तो मीडिया उन पर चुप्पी साध लेता है । लेकिन इन सालों में बेगुनाह इंसान जब बाहर निकलता है तो ना चाहते हुए भी उसके माथे पर कलंग लग चुका होता है जिसका बहुत हद तक ज़िम्मेदार मीडिया भी है ।

इसी साल के दिल्ली की पटियाला हाउस ने सरोजनी नगर बम ब्लास्ट पर अपना फैसला सुनाते हुए तीन आरोपियों में से दो को बरी किया और एक को दोषी करार दिया । इस मामले में मुख्य आरोपी रहे मोहम्मद हुसैन फाजिली और मोहम्मद रफीक शाह को बरी कर दिया दिया था । दिल्ली पुलिस हुसैन फाजिली और रफीक शाह पर लगाए अपने आरोप साबित करने में नाकामयाब रही।

किसी भी आतंकवादी घटना के बाद जब भी कोई आरोपी पकड़ा जाता है तो मीडिया उसे संदिग्ध नहीं लिखती है बल्कि सीधा आतंकवादी घोषित कर देती है । लेकिन जब वो बेगुनाह निकलता है और बरी होता है तो मीडिया चुप्पी साध लेती है ।

इसी रवैए पर आशुतोष ने ट्वीट किया है कि कोई आतंकवादी है या नहीं ये तय करने का अधिकार सिर्फ अदालत को है। ये अधिकार न हमे है और न आपको,और न ही प्रेस को।

 

29 सितंबर 2008 में हुए मालेगांव धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी, और करीब 100 लोग घायल हो गए थे। हमले के आरोप में साध्वी प्रज्ञा और पुरोहित को पुलिस ने 2008 में गिरफ्तार किया था।