BJP शासित मध्यप्रदेश में 4 और किसानों ने दी जान

मध्यप्रदेश से लगातार किसानों की आत्महत्या की खबरें आ रही हैं। गुरूवार को चार और किसानों ने अपनी जान देकर खुदकुशी कर ली । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चुनाव क्षेत्र बुधनी के अलावा सागर, छतरपुर और छिंदवाड़ा में भी एक-एक किसान ने बढ़ते कर्ज से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। पिछले एक पखवाड़े में प्रदेश में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या बढ़कर 21 हो गई है।

मुख्यमंत्री के चुनाव क्षेत्र बुधनी के गवाड़िया गांव के शत्रुघ्न मीणा ने सल्फास खा कर जान दे दी। जानकारी के मुताबिक शत्रुघ्न मीणा पर 10 लाख रूपये का कर्ज था। वह अपने खेत पर बिजली कनेक्शन लेना चाहता था। लेकिन तहसील कार्यालय में उसे परेशान किया जा रहा था। इससे दुखी होकर उसने सल्फास की गोलियां खा ली। उसे होशंगाबाद के एक निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया था। जहां उसकी मौत हो गयी।

सागर के बसहरी गांव के 50 साल के किसान गुलाई कुर्मी ने साहूकारों की धमकियों से तंग आकर अपनी जान दे दी। किसान के परिजनों के मुताबिक साहूकार कर्ज वसूली के लिये लगातार जान से मारने की धमकी दे रहे थे। इसकी शिकायत उसने पुलिस में भी की थी। लेकिन पुलिस ने कोई मदद नही की। निराश होकर उसने खुदकुशी कर ली।

छतरपुर के संध्या विहार कालोनी के पास पहाडी पर रहने वाले महेश तिवारी (75) ने अपने ही घर में फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली। मृतक के पुत्र बुद्ध प्रकाश ने बताया कि छतरपुर में उसके पिताजी मजदूरी करते थे और चितहरी में बटाई पर जमीन ली थी।

चने की फसल में कीड़ा लग जाने के कारण फसल खराब हो गई थी और उस पर 90 हजार रुपये का कर्ज भी था। वहीं, छतरपुर के सब डिवीजनल मजिट्रेट डीपी द्विवेदी ने बताया कि तिवारी द्वारा खेती करने अथवा उसके नाम पर जमीन होने की कोई जानकारी नहीं है।

छिंदवाडा जिले के परासिया क्षेत्र के अंतर्गत उमरेठ के ग्राम कचराम निवासी किसान श्याम यदुवंशी (52) की इलाज के दौरान मौत हो गई । श्याम ने दो दिन पहले बैंक कर्ज एवं बिजली बिल से परेशान होकर कीटनाशक दवा का सेवन किया था।

बैंक अधिकारी और विद्युत विभाग के अधिकारी कर्ज चुकाने के लिए उस पर दबाव बना रहे थे। उस पर सात लाख रुपये का कर्ज था। उसके पास मात्र डेढ़ एकड़ जमीन थी। मृतक श्याम के परिवार मे उनकी पत्नी एवं छोटे मासूम एक बेटा एवं एक बेटी है।

मध्यप्रदेश में किसान आन्दोलन शुरू होने के बाद से अब तक प्रदेश में 20 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है। इनमें 6 पुलिस की गोली से मारे गये थे, जबकि 14 से अधिक ने आत्महत्या की है।

राज्य सरकार किसानों की आत्महत्याओं की अलग-अलग वजह गिना रही हैं। जबकि इनके परिजनों का कहना हैं कि खेती में नुकसान और बढ़ते कर्ज की वजह से उन्होंने यह आत्मघाती कदम उठाया।