नई दिल्ली: मोदी नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने एक ऐसा प्रस्ताव पेश करने का फैसला किया है। जिसके तहत प्राइवेट कंपनियों के अफसर सीधे तौर पर आईएएस या आईपीएस बन सकेंगे। इसके लिए देश की सबसे प्रतिष्ठित मानी जाने वाली सिविल सेवा में पास होना अनिवार्य नहीं होगा।
इंडियन एक्प्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार पीएमओ ने कार्मिक एंव प्रशिक्षण विभाग को इसके लिए प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। मोदी सरकार के इस प्रस्ताव के तहत सरकारी मंत्रालयों और कार्यालयों में प्राइवेट कंपनियों के अफसरों को सीधे तौर पर कोर्पोरेट अफसरों के पदों पर नियुक्त किया जाएगा। सरकार चाहती है कि प्राइवेट सेक्टर के अफसरों को विभिन्न विभागों में उप सचिव, निदेशक और संयुक्त सचिव रैंक के पदों पर नियुक्त किया जाए। जबकि केंद्र सरकार अब लैटरल एंट्री का भी प्रावधान करने जा रही है।
खबर के मुताबिक कैबिनेट सेक्रेटरी की अधयक्षता में बनी समिति ऐसे लोगों का अंतिम रूप से चयन करेगी। प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले समाजिक कार्यकर्ताओं को भी उनकी योग्यता और अनुभव के हिसाब से चयन किया जायेगा। गौरतलब है कि 2016 के अगस्त माह में कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में यह बताया था कि ऐसी समिति गठित करने की कोई योजना नहीं है, जो सिविल सेवाओं में लैटरल इंट्री की संभावना पर विचार कर सके।