रोहिंग्या मुस्लिमों के नरसंहार पर पर्दा डालने की कोशिश, म्यांमार ने UN के रखाइन दौरे पर लगाई रोक

म्यांमार के रखाइन राज्य में हिसा के बाद बड़े पैमाने पर रोहिग्या मुसलमानों के पलायन के बाद स्थिति का जायजा लेने के लिए संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों के प्रस्तावित दौरे को म्यांमार के प्रशासन ने रद्द कर दी। वैश्विक संगठन ने यह जानकारी गुरुवार को दी।

बीबीसी के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी उस जगह का दौरा करने वाले थे, जहां 25 अगस्त को हिसा की शुरुआत हुई थी। यांगून में संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने कहा कि सरकार के इस कदम का कोई भी कारण नहीं बताया गया है।

रोहिंग्या विद्रोहियों द्वारा सुरक्षा बलों पर हमले के बाद सेना ने विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी थी, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र के सहायता कर्मियों को राखिने छोड़ने को मजबूर किया गया था।

संयुक्त राष्ट्र ने रखाइन  आकर पिछले एक महीने में बांग्लादेश जाने वाले 480,000 रोहिंग्या मुसलमानों के मामले की जांच करने के लिए जोर दिया था।

रोहिंग्या लोगों ने खुद के सीमा पार करने के लिए म्यांमार की सेना, बौद्ध समुदाय के समर्थन, सेना द्वारा मारपीट, हत्या और गांवों को जलाए जाने जैसे क्रूर मुहिम को जिम्मेदार ठहराया।
लेकिन सेना का कहना है कि उसने केवल उग्रवादियों को ही निशाना बनाया था। इससे पहले, सेना ने कहा था कि रोहिंग्या विद्रोहियों द्वारा मारे गए 45 हिंदुओं के शव एक सामूहिक कब्र में पाए गए।

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी प्रमुख फिलिपो ग्रांडी ने बुधवार को म्यांमार के प्राधिकारियों से हिंसा को रोकने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था कि हिसा को रोका जाए, क्योंकि म्यांमार से भागने वाले रोहंग्यिा शरणार्थियों को मदद की सख्त जरूरत है।