दुनिया को अपने क़दमों झुकाने वाले व सबसे ताकतवर सैन्य संघठन के नाम से जाने जाने वाले नाटो को तुर्की के आगे आखिर झुकना ही पड़ा है। झुके भी क्यों नहीं आखिर गलती भी तो नाटो की ही थी, इसलिए ऐसा करना उनके लिए मजबूरी बन गया।
दरअसल मामला ये हुआ कि नाटो के एक टेकनीशियन ने तुर्की रिपब्लिक के फाउंडर मुस्तफ़ा कमाल अतातुर्क की तस्वीर को एनिमी चार्ट में दिखा दिया था। जैसे ही इस बात की जानकारी उच्च अधिकारियों को हुई तो तुरंत ही टेकनीशियन को हटा दिया गया।
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तुर्की के उच्च अधिकारियों को इस घटना की जानकारी मिलते ही नाटो और तुर्की के बीच रवैया तल्ख़ हो गया और राष्ट्रपति एरदोगन ने फ़ौरन घोषणा करते हुए कहा कि तुर्की नाटो ड्रिल का हिस्सा नहीं बनेंगा। तुर्क राष्ट्रपति एरदोगन के इस सख्त रवैये से नाटो अधिकारियों के होश उड़ गए और जल्दी जल्दी मामले को निबटाने की कोशिश की जाने लगी।
नाटो के जनरल सेक्रेटरी जेन्स स्तोल्तेंबर्ग ने तुर्की के चीफ ऑफ़ स्टाफ़ हुलुसी अकर से कनाडा में हुई एक मीटिंग में कहा कि वो इस घटना के लिए शर्मिंदा हैं। साथ ही उन्होंने तुर्की के राष्ट्रपति को इसके लिए अपना माफ़ी-सन्देश भी भेज है। वहीँ अकर ने इस बारे में कहा कि इस मामले की अच्छे से छानबीन होनी चाहिए और जो भी नाटो का इस्तेमाल करके नाटो एलायंस को नुक़सान पहुंचान चाहता है उसका पता लगाया जा सके।
बता दें कि इससे पहले भी एक अन्य मामले में नार्वेजियन ऑफिसर द्वारा राष्ट्रपति रजब तय्यिप एरदोगन को बदनाम करने की कोशिश की गई थी।