शहनाई के जादूगर बिस्मिल्लाह खां साहब को इस दुनिया को अलविदा कहे 11 साल पूरे हो गए लेकिन उनका मकबरा अब भी उद्घाटन का इंतजार कर रहा है. खां साहब को पुण्यतिथि पर गुलाब की पंखुड़ियों के साथ याद किया गया.
21 अगस्त 2006 को भारत रत्न बिस्मिल्लाह खां के इंतकाल के बाद उनकी सुपुर्द-ए-ख़ाक़ की रस्म बनारस की फातमान दरगाह में हुई. उस वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे. उन्होंने तब उस्ताद बिसमिल्लाह खां के सम्मान में कई एलान किए थे.
मुलायम सिंह के बेटे 2012 में यूपी के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने बिस्मिल्लाह खां साहब के मकबरे के लिए 29 लाख रुपए के प्रस्ताव को मंजूरी दी.
उस्ताद बिस्मिल्लाह खां का मकबरा तैयार जरूर हो गया है, लेकिन यहां निर्माण की गुणवत्ता को लेकर जरूर सवाल उठ रहे हैं.
आजतक में आई खबर के मुताबिक नया निर्माण होने के बावजूद मकबरे की छत बरसात में चूने लगी. क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र प्रमुख डॉ. रत्नेश वर्मा के मुताबिक बार-बार मकबरे में नई चीजों को जोड़े जाने के चलते इसका काम पूरा नहीं हो पा रहा है.
वहीं, उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के परिजन और प्रशंसक मकबरे के निर्माण की गुणवत्ता को लेकर खुश नहीं है. उनका कहना है कि ये समझ से परे है कि 29 लाख रुपए कहां खर्च कर दिए गए.
बता दें कि डेढ़ साल पहले यूनेस्को ने क्रिएटिव सिटीज ऑफ नेटवर्क के तहत बनारस को ‘सिटी ऑफ म्यूजिक’का खिताब दिया था.