पटना के निजी स्कूल “ Litera Valley School, पर मुस्लिम छात्रा को एडमीशन नहीं देने का आरोप लगा है । छात्रा के पिता का आरोप है कि उनकी बेटी को स्कूल ने 11वीं में सिर्फ़ इसलिए एडमीशन नहीं दिया क्योंकि वो हिजाब पहनती है ।
छात्रा के पिता मोहममद वसी ज़फ़र ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा है कि ”बहुत दुखी हूँ कि आज मेरी बेटी को पटना के एक बड़े स्कूल “ Litera Valley School, Bhagwat Nagar, Kumrhar, Patna-800026” ने 11 वीं क्लास में नामांकन (दाख़िला) देने से सिर्फ इसलिए इंकार कर दिया क्यों कि वह हिजाब पहनती है ।
मोहम्मद वसी लिखते हैं कि जब इस समस्या को लेकर मैं ने स्कूल के प्राचार्य से मिलने की दरखास्त की तो पहले मुझे लगभग दो घंटे बाहर इन्तिज़ार में बैठाया गया फिर मिलने से ही मना कर दिया गया क्यों कि प्राचार्य महोदय को यह मालूम था की वह मुझ से तर्क-वितर्क में जीत नहीं सकेंगे ।
उनके लोगों ने कहा कि यह हमारी Internal Policy है । मुझे नहीं समझ आरहा कि धर्म और संस्कृति के नाम पर भेद भाव करने की यह कौन सी policy और हिजाब शिक्षा ग्रहण करने में रुकावट कैसे है ? ये स्कूल शिक्षा दे रहे हैं या भारतीय सभ्यता और बहुवादी संस्कृति की बैंड बजा रहे हैं । ये समानता, न्याय और बंधुत्व की क्या शिक्षा दे पाएँगे ।
अपनी परेशानी बयां करते हुए एक पिता ने कहाकि यह तब हुआ है जब पूरा भारतीय समाज बेटियों की शिक्षा के लिए आवाज़ें लगा रहा है और हमारे प्रधान सेवक बेटी पढाओ की बाते कर रहे हैं । ज्ञातव्य हो कि मेरी बेटी ने दसवीं कक्षा CBSE से 10 CGPA के साथ पास किया और मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान में विशेष रुचि रखती है ।
आज वह जितना आहत हुई है उस से मैं उसे कैसे निकल पाउँगा । यह सिर्फ़ मानवाधिकार का उल्लंघन ही नहीं बल्कि संविधान की धारा 15, 25, 28, एवं 29 का भी उल्लंघन है । राज्य सरकार इन स्कूलों को समाज के व्यापक हित में अनापत्ति प्रमाणपत्र देती है जिसके आधार पर CBSE इन्हें affiliation देती है, क्या इसी लिए कि ये धर्म और संस्कृति के नाम पर भेद भाव करें और समाज को लूटें ।
वो कहते हैं कि फिर यह उस व्यक्ति की बेटी के साथ हो रहा है जो पटना विश्वविद्यालय का शिक्षक ही नहीं एक शिक्षक प्रशिक्षक है और अपनी 20 साल के सेवा काल में उसने सैकड़ों बल्कि हज़ारों शिक्षक तैयार किए जिनमे हर धर्म के लोग थे जो बिहार राज्य ही नहीं बल्कि देश के कोने कोने में अपनी सेवा दे रहे है और जो सिर्फ शिक्षक ही नहीं बल्कि स्नातकोत्तर शिक्षा विभाग, पटना विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष एवं शिक्षा संकाय पटना विश्वविद्द्यालय, के संकायाध्यक्ष के रूप में भी अपनी सेवा दे चुका है ।
आप अंदाज़ा लगाइये कि आम लोगों के साथ क्या कुछ होता होगा । ज्ञातव्य यह भी हो कि उसी स्कूल में यही मामला हमारे एक मित्र की बच्ची के साथ भी हुआ है जो खुद एक प्राइवेट स्कूल के निदेशक हैं। हो सकता है कि मेरे इस अपमान पर कुछ लोगों को बड़ी ख़ुशी हो क्योंकि हमारा समाज अब हर घटना को एक नए चश्मे से देख रहा है लेकिन एक शिक्षक का यह अपमान देश के लिए ख़तरे की घंटी है ।
देखता हूँ कि वह लोग जो अभी कुछ दिनों पहले भारतीय मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने की बात कर रहे थे एक शिक्षक की बेटी को शिक्षा से वंचित करने के मामले में न्याय दिलाने के लिए कितना आगे आते है? मैं यह भी देखता हूँ कि हमारे पत्रकार मित्र इस शिक्षक की बेटी की पुकार को कहाँ तक पहुंचा पाते हैं ?
इस संबंध में नौकरशाही डॉट कॉम ने लिटेरा वैली स्कूल के अधिकारी ने बताया कि समर वैकेशन है इसलिए प्रिसिंपल से बात नहीं हो सकती. जब उनसे प्रिसिंपल का नम्बर मांगा गया तो उन्होंने यह कहते हुए नम्बर देने से इनकार कर दिया कि उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं है.
हालांकि ये पहला मामला नहीं है देश में इससे पहले भी इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं । इससे पहले भी मध्यप्रदेश के एक मेडिकल कॉलेज में ढांढी रखने की वजह से छात्र को एडमीशन नहीं दिया गया था । कहा गया था कि उसे अपनी ढांढी हटानी होगी ।
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