नई दिल्ली: मंदसौर आंदोलन के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) से जुड़े किसान संगठनों ने भी अब मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आरएसएस से जुड़े एक किसान संगठन ने इस संकट के लिए मोदी सरकार के नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। भारतीय किसान संघ (बीकेएस) के राष्ट्रीय सचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने एक बयान जारी किया है। मिश्रा का कहना है कि किसान केंद्र सरकार की प्राथमिकता में नहीं हैं।
मिश्रा ने कहा, “केंद्र सरकार उपभोक्ताओं और खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के बारे में किसान से ज्यादा चिंतित है। वे सरकार की प्राथमिकता में नहीं हैं।” उन्होंने कहा कि किसान कृषि सामग्री को अधिकतम खुदरा मूल्य पर खरीद रहे हैं तो उन्हें न्यूनतम बिक्री मूल्य क्यों मिलना चाहिए।
इसके बाद उन्होंने कहा कि सरकार को कम-से-कम यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बिक्री मूल्य उत्पादन की लागत से 20-30 प्रतिशत अधिक हो। दालों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले इसकी खेती को प्रोत्साहित किया और फिर सस्ती दालों का आयात करना शुरू कर दिया।
उन्होंने कहा, “परिणाम यह है कि आज किसानों को उनके उत्पादों के उचित मूल्य नहीं मिल रहे हैं। सरकार ने गेहूं पर आयात कर कम कर दिया। जबकि इस साल बंपर फसल हुई थी।” हालांकि मिश्रा ने मध्य प्रदेश में चल रहे मंदसौर किसान आंदोलन पर कहा कि राज्य में मौजूदा संकट कुछ उपद्रवी तत्वों द्वारा रचा गया है।
लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि किसान निराश हैं क्योंकि राज्य सरकार उनकी फसल खरीदने के लिए आवश्यक बंदोबस्त नहीं कर सकी। उन्होंने कहा कि भारतीय किसान संघ 15 जून से सभी संभाग मुख्यालयों पर राज्य सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ बेमियादी धरना शुरू करेगा।