आज ही के दिन की गई थी अख़लाक़ की हत्या, परिवार को है अब भी इंसाफ़ का इंतज़ार

आज ही के दिन 28 सितंबर, 2015 में दादरी के बिसाहड़ा गांव में 52 वर्षीय मोहम्‍मद अखलाक की पीट-पीट कर हत्‍या कर दी गई। आज इस घटना को तीन साल होने को है। किसी भीड़ को यह हक़ नहीं दिया जा सकता कि वह किसी को उसके घर से खींच कर निकाले और मार डाले। अख़लाक़ के मामले में ज़्यादा त्रासद यह है कि भीड़ ने उसे एक ऐसी बात की सज़ा दी जो कानूनन जुर्म तक नहीं थी।

वही इस मामले में अखलाक की हत्या के षडयंत्र पर पुलिस और न्यायिक प्रक्रिया पर भी कई सवाल उठे हैं। बल्कि ये कहा जाता है कि निष्पक्ष विवेचना न्याय का आधार होती है ऐसे में अखलाक को इंसाफ मिलना असंभव सा लगने लगा है। मुहम्मद अखलाक की हत्या में शामिल 17 आरोपियों में से 14 अब इलाहाबाद हाई कोर्ट से मिली जमानत पर बाहर आ चुके हैं। यहाँ तक की भाजपा की मौजूदा सरकार योगी आदित्यनाथ तक मांग कर चुके हैं कि अख़लाक़ के नाम पर दिया गया मुआवज़ा वापस लिया जाए।

वही इस मामले में कुछ दिन पहले अखलाक के भाई जान मुहम्मद ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि अभी भी उनके परिवार वालों में इंसाफ की आस टूटी नहीं है। मुहम्मद ने कहा की न्यायपालिका पर मुझे पूरा विश्वास है। हालांकि मेरा एक सवाल है? सभी आरोपी और उनके परिवार कह रहे हैं कि वे निर्दोष हैं। फिर अखलाक को किसने मारा? क्या उसे कत्ल नहीं किया गया था? या वह धूल की तरह गायब हो गया? बिसाहड़ा के लोगों से मेरी अपील है कि हमें बताएं कि इन 17 लोगों ने अखलाक को अगर नहीं मारा था तो किसने मारा?

मुहम्मद ने कहा, ‘कई जांच अधिकारी बदल गए, लेकिन इस मामले में अब तक किसी भी पुलिस अधिकारी ने न तो मुझसे और न ही मेरे परिवार से बात की है। पुलिस जानती है कि यह झूठा आरोप है। आरोपियों ने हत्या होने के एक घंटा से भी अधिक समय बाद हमारे घर से काफी दूर एक ट्रांसफॉर्मर के पास गोमांस रख दिया था।’

हालांकि आरोपियों की याचिकाओं पर अदालत के आदेश के बाद अखलाक के परिवार के खिलाफ गोवध का मुकदमा दर्ज किया गया था। उसमें सालभर से अधिक समय से कोई प्रगति नहीं हुई है।