उस्ताद बिस्म्मिल्लाह खान के पद्म भूषण अवॉर्ड को खा रही दीमक, मुफ़लिसी में जी रहा है परिवार

भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न पाने वाले शहनाई के जादूगर उस्ताद बिस्म्मिल्लाह खान का नाम पूरी दुनिया में रौशन है । लेकिन आज उनका परिवार बदहाल है।  हालात ये हैं कि बनारस के उनके हड़हासराय के घर में जहाँ बिस्म्मिल्लाह की शहनाई परवान चढ़ी वहीं सम्मान में मिले पद्म भूषण अवार्ड को दीमक खा रही है ।

बिस्मिल्लाह खान को पद्म भूषण का ये अवार्ड तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ नीलम संजीव रेड्डी ने वर्ष 1980 में प्रदान किया था । 21 अगस्त को उस्ताद की 11वीं पुण्यतिथि थी, इस मौके पर उनके हड़हासराय के घर पर कुछ चाहने वाले पहुंचे, उस्ताद के तमाम अवार्ड को देखने के लिये निकाले गए तो नज़र दीमक पर चली गई जो पद्म भूषण को खा रही थी ।

बिस्मिल्लाह खान साहब का परिवार का परिवार दुखी है क्योंकि वो अपने अब्बा की यादों को उनकी निशानियों को उनके सम्मानों की हिफाज़त नहीं कर पा रहे हैं । अब्बा का देश-दुनिया में बड़ा नाम है, कहीं उनके नाम की बेज्ज़ती ना हो इसलिए परिवार अपनी मुफ़लिसी को किसी के सामने नहीं लाता है । अपनी जितनी ताकत है उससे उनकी याद को सहेजने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अब वो जार-जार होती नजर आ रही है।

उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के परिवार की गरीबी के लिए भले कोई कुछ ना करे लेकिन एक महान फ़नकार जो पूरे देश और समाज का था कम से कम उसकी यादें और प्रतीकों को तो कम से कम सरकार सहेज ही सकती है ।

सरकार के तमाम दावों के बावजूद उस्ताद बिस्म्मिल्लाह खान के घर पर उनका जूता, छाता, टेलीफोन, कुर्सी, लैम्प, चारपाई और अंतिम समय तक उपयोग आने वाले बर्तन जैसे, सामान अपने हाल पर पड़े हुऐ है. जरूरत है कि इस एक बानगी के बाद सरकार उन्हें संरक्षित करे नहीं तो एक महान कलाकार की इससे बड़ी कोई उपेक्षा नहीं होगी.