बंद पड़े हज हाउस के बचाव में उतरी योगी सरकार

योगी सरकार ने अखिलेश सरकार के दौरान बने इस हज हाउस को एनजीटी के कथित आदेश का हवाला देकर बंद कर दिया था। सात महीने से बंद पड़े हज हाउस को खुलवाने के लिए दिए जा रहे धरने के दौरान सोमवार की रात लोग भड़क उठे।

ताज़ा मामले के अनुसार हज हाउस को लेकर बुधवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल बेंच ने मामले की सुनवाई की। इसमें स्टेट गर्वमेंट के स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल किए जाने पर याचिका दायर करने वाले पीटिशनरों से आॅबजेक्शन फाइल करने के लिए कहा गया।

अब इस मामले में 24 अगस्त को एनजीटी सुनवाई करेगी। स्टेट गर्वमेंट की तरफ से दाखिल की गई, स्टेट्स रिपोर्ट में योगी सरकार ने हज हाउस का बचाव किया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि हज हाउस वैध तरीके से बना हुआ है। जिन जमीनों को नदी का खसरा बताया गया है वो उनकी नहीं है। गौरतलब है कि हिंडन नदी के किनारे बने हज हाउस के लिए 20 जुलाई 2005 को सिंचाई विभाग की तरफ से उत्तर प्रदेश राज्य हज हाउस समिति को जमीन दी गई थी। जमीन मिलने के बाद में इसकी बुनियाद रखी गई और बाकि काम शुरू हुआ।

नदी के खसरों पर हज हाउस का निर्माण किए जाने को लेकर पर्यावरण कार्यकर्ता सुशील राघव, पार्षद पति हिमांशु मित्तल, आकाश विशिष्ट और अरविंद कुमार की तरफ से जनहित याचिका नेशनल ग्रीन टिब्यूनल बोर्ड में दाखिल की गई थी। मामले में यूपी स्टेट, डीएम गाजियाबाद, पर्यावरण मंत्रालय समेत आठ विभाग को नोटिस जारी किया गया था। 24 अगस्त को मामले में अगली सुनवाई होगी।

बताते चलें कि समाजवादी पार्टी की सरकार में मुस्लिम समाज के लोगों के लिए करोड़ों रुपये की लागत से दिल्ली देहरादून एक्सप्रेस पर हिंडन के किनारे आलीशान हज हाउस का निर्माण कराया।

मुस्लिम महासभा इसे खोले जाने की मांग कर रही है। वहीं हिंदू संगठन मास्टर प्लान और एनजीटी में मामला विचाराधीन होने की बात कहकर पीएम मोदी और सीएम योगी से इसे बंद रखे जाने की मांग कर रहा है। इसी तनातनी में सोमवार को धरने के दौरान विवाद बढ़ गया और हिंसा भड़क उठी।