अच्छे दिन का ख़्वाब दिखाकर मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था की तोड़ी कमर, जनता की जेब ख़ाली

चारों तरफ से आ रही आर्थिक संकट की ख़बरों ने अचानक भाजपा की जान को सांसत में डाल दिया है. बेहद खराब तरीके लागू किए गए नोटबंदी के फैसले के बाद कुछ वैसी ही बदइंतजामी जीएसटी को लागू करने के मामले में भी दिखाई दे रही है. इसने छोटे कारोबारियों की कमर तोड़ दी है, जिसका नतीजा नोटबंदी के बाद के महीनों में उत्पादन और बेरोजगारी में आई गिरावट की स्थिति के और भयावह होने के तौर पर सामने आया है.

कारोबारी कंपनियां जीएसटी के लागू होने से पहले अपना स्टॉक खाली करने में लगी हुई थीं. उन्हें उम्मीद थी कि वे नई कर-प्रणाली में नया स्टॉक जमा करेंगी. लेकिन, विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी को खराब तरीके से लागू किए जाने के कारण नया स्टॉक जमा करने रफ्तार काफी सुस्त है और कंपनियां फिलहाल जीएसटी व्यवस्था के स्थिर होने का इंतजार कर रही हैं.

इसे विडंबना ही कहा जा सकता है कि तेल पर लगाए गए रिकॉर्ड टैक्स स्थिर राजस्व का एकमात्र स्रोत हैं, क्योंकि इसे जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है. फिलहाल जीएसटी नहीं, तेल पर लगा कर ही केंद्र सरकार की जान बचाए हुए है.

वित्त मंत्री अरुण जेटली की मुश्किलों को और बढ़ाते हुए जीएसटी नेटवर्क के उम्मीदों से कमतर प्रदर्शन ने 2017-18 में राजस्व में कमी का गंभीर खतरा पैदा कर दिया है. इससे केंद्र के राजकोषीय हिसाब-किताब के गड़बड़ाने की आशंका पैदा हो गई है. वही वित्त मंत्रालय को पहला झटका तब लगा जब जुलाई के महीने के लिए जीएसटी के तहत जमा हुए 95,000 करोड़ रुपये में से कुल 65,000 करोड़ रुपये के रिफंड का दावा उसके सिर पर आ गया.

इस नई समिति के सदस्य कर्नाटक के कृषि मंत्री कृष्ण बायरे गौड़ा ने द वायर को बताया कि जीएसटीएन के सॉफ्टवेयर के साथ कई दिक्कतें हैं, जिन्हें ठीक करने में कम से कम छह महीने का वक्त लग जाएगा. उन्होंने कहा, ‘फिलहाल बहुत बुनियादी परेशानियां सामने आ रही हैं. मसलन, व्यापारी यह शिकायत कर रहे हैं कि उन्होंने रजिस्ट्रेशन करा लिया है और जीएसटी रिर्टन भी अपलोड कर दिया है, लेकिन इसे सिस्टम द्वारा नहीं दिखाया जा रहा है. सिस्टम की कछुआ चाल ने टैक्स भरनेवालों को दिन में तारे दिखा दिए हैं.

संघ परिवार के शीर्ष विचारकों ने देर से इस बात को स्वीकार किया है कि अर्थव्यवस्था की अस्थिर नाव पहले से ही नोटबंदी के कारण आए तूफान से पछाड़ खाते हुए हुए समुद्र में बह रही है. संघ परिवार के एक महत्वपूर्ण आर्थिक विचारक एस. गुरुमूर्ति ने कहा है कि एक साथ नोटबंदी, जीएसटी, बैंकों की गैर-निष्पादन परिसंपत्तियां (एनपीए), सेटलमेंट प्रोसेस और काले धन पर कई स्तरों पर किए जा रहे हमले ने व्यापार को बड़ा झटका दिया है.