मथुरा : उपेक्षित वृंदावन विधवाओं के लिए केंद्र एक हज़ार बिस्तर वाला आश्रम बनाएगा

उत्तर प्रदेश के मथुरा में स्थित वृंदावन को राधा और कृष्ण की नगरी माना जाता है। मान्यता है कि हिंदू भगवान कृष्ण का बचपन यहीं गुज़रा था। वृंदावन जिला ‘वृंदावन विधवा’ के रूप में पिछले सैकड़ों वर्षों से मानवता के एक अंधेरे पक्ष के लिए भी जाना जाता है।

ये ‘वृंदावन विधवाएं’ पूरे भारत से इस शहर में आ हुई हैं। ये सभी विधवाएं वैसे तो कृष्णभक्त हैं लेकिन इनमें से बहुत सी विधवाएं ऐसी हैं जो स्वेच्छा से यहां नहीं आईं हैं। ये सभी परित्यक्ताएं हैं जो या तो अकेले होने के कारण या घरवालों के ख़राब बर्ताव से परेशान होकर यहां आईं।

नतीजतन, वृंदावन के आधे दर्जन से अधिक पंजीकृत विधवा आश्रम और लगभग हजारों विधवाएं हैं। इन विधवाओं की पुरानी पीढ़ी ने अपनी हालत में सुधार की उम्मीद छोड़ दी है, लेकिन युवा विधवाएं अभी भी उम्मीद कर रही हैं कि उनके ‘अच्छे दिन’ जल्द ही आ जायेंगे।

शायद ‘अच्छे दिन’ की यह आशा उन्हें हर साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कलाई पर रक्षा बंधन पर ‘राखी’ बांधती है, हालांकि ये आशा नरेंद्र मोदी के पूरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री के रूप में उपयोगी साबित नहीं हुई है।

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश में हिंदू धर्म के समर्थकों में से एक हैं और पिछले कार्यकाल के लगभग दो वर्षों में उन्होंने कई बार इस क्षेत्र का दौरा किया है, लेकिन इन यात्राओं से उनकी स्थिति में परिवर्तन नहीं आया है।

एक गैर सरकारी संगठन ने हाल ही में भारत के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिससे इन महिलाओं की दुर्दशा पर देश का ध्यान आकर्षित हुआ। यहां महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से 1000-बिस्तर वाले ‘विधवा आश्रम सदन’ की योजना बनाई जा रही है।

केंद्र सरकार खाद्य, दवा, कपड़े और अन्य संबंधित सामान मुहैया कराएगी, जबकि बिजली की आपूर्ति, सीवेज, पेयजल और खाना पकाने की गैस राज्य सरकार द्वारा की जाएगी।

इस उद्देश्य के लिए कुल बजट शुरू में 6.1 9 करोड़ रूपये तय किया गया है जिसमें विधवाओं के लिए वार्षिक धार्मिक यात्राओं के खर्च भी शामिल होंगे। आश्रम राज्य महिला कल्याण निगम द्वारा संचालित किया जाएगा।

हिंदुस्तानी बिरादरी के उपाध्यक्ष विशाल शर्मा ने कहा कि बिरादरी की मथुरा इकाई को उन सदस्यों को नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है जो इन विधवाओं के संपर्क में रह सकते हैं और नियमित आधार पर उनके कल्याण का ख्याल रख सकते हैं।

हिंदुस्तान बिरादरी की मथुरा इकाई के अध्यक्ष मोहम्मद ज़ाकिर कुरैशी ने कहा कि बिरादरी के मथुरा के सदस्य अन्य गैर सरकारी संगठनों और सामाजिक संगठनों की सहायता के अलावा स्थानीय महिलाओं को इन महिलाओं की दुर्दशा की ओर भी संवेदनशील करेंगे।