नई दिल्ली: गुरुवार को राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग ने आदिवासी हत्या मामले में कथित रूप से अपनी शासकीय ताक़त का दुरूपयोग कर प्रोफेसर नंदिनी सुंदर समेत अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने पर छत्तीसगढ़ के राज्य सचीव और बस्तर रेंज के आईजी को तलब किया है।
बस्तर रेंज के आईजी एस आर पी कल्लूरी ने पांच नवम्बर को एक आदिवासी की हत्या के मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर नंदनी सुन्दर, जेएनयू के प्रोफेसर अरचना प्रसाद समेत कई अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं को आरोपी बना कर प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इस प्राथमिकी के दर्ज होने के बाद देश भर के सामाजिक कार्यकर्ताओं के विरोध और रोष जताने पर राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया है।
“ख़बरों के मुताबिक छत्तीसगढ़ पुलिस ने सुकमा जिले में रहने वाले आदिवासी सामनाथ बघेल की 4 नवम्बर को हत्या के आरोप में नंदनी सुन्दर, अर्चना प्रसाद समेत दस लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की थी,” एनएचआरसी ने अपने बयान में कहा।
“बताया जा रहा है कि आदिवासी की हत्या माओवादियों के विरुद्ध जागरूकता अभियान चलाने के कारण हुयी है। इन प्रोफेसर और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मई 2016 में बस्तर की यात्रा की थी, जबकि आदिवासी की हत्या नवम्बर में हुयी है।”
“इन कार्यकर्ताओं की यात्रा और आदिवासी की हत्या में कोई रिश्ता नज़र नहीं आता है, इसलिए यह कहा जा रहा है कि पुलिस बदले की भावना के साथ गलत तरीके से इन कार्यकर्ताओं को फंसा रही है,” बयान में कहा गया।
एनएचआरसी ने कहा कि ऐसा लगता है कि ऍफ़आईआर में इन लोगों के नाम को दर्ज करने का मकसद इन लोगों को छत्तीसगढ़ में आने से रोकना है। क्योंकि यह लोग लगातार छत्तीसगढ़ में हो रहे मानवाधिकार के उलंघनों को सामने ला रहे हैं।
“आयोग छत्तीसगढ़ में लोगों के मानवाधिकारों की स्तिथि को लेकर बेहद चिंतित है और इसीलिए इन आरोपों के चलते उसने छत्तीसगढ़ के राज्य सचीव और बस्तर के आईजी पुलिस को तलब किया है। दोनों अधिकारीयों को अपने ऊपर लग रहे आरोपों पर सफाई पेश करने के लिए 30 नवम्बर को सुबह 11 बजे आयोग के सामने पेश होने का आदेश दिया गया है,” एनएचआरसी ने कहा।