NIA की ख़ुसूसी अदालत ने 2008 में मालेगांव ब्लास्ट केस के मुल्ज़ीमिन में से एक सुधाकर द्विवेदी, की आरजी ज़मानत की अर्ज़ी को आज ख़ारिज कर दिया |
हालाँकि अदालत ने द्विवेदी को पुलिस की निगरानी में अपने घर कानपुर जाने की इजाज़त दे दी है लेकिन इसके लिए उसे भुगतान करना होगा |
स्पेशल NIA प्रोसिक्यूटर अविनाश रसल ने बताया कि “अदालत ने ज़मानत अर्ज़ी को ख़ारिज कर दिया लेकिन 19 जनवरी – 1 फ़रवरी तक के लिए पुलिस की निगरानी में अपने आबाई इलाक़े कानपुर जाने की इजाज़त दे दी है”|
इससे पहले द्विवेदी ने अपने वकील कनिष्क जयंत के ज़रिये ज़मानत के लिए दरख्वास्त दी थी |
अदालत ने 12 शर्तें रखी हैं , जिन पर द्विवेदी को अपने आबाई इलाक़े में जाकर उनपर अमल करना होगा |
स्पेशल जज एस डी तेकाले के हुकुम के मुताबिक़ द्विवेदी तलोजा जेल (नवीं मुंबई )जहाँ वह क़ैद था , के जेल सुपरिंटेंडेंट को अपने घर का पता और और घर के सारे मेम्बर्स की लिस्ट देनी होगी | अदालत ने ये भी हुकुम दिया कि वह कानपुर शहर छोड़कर कहीं बाहर नहीं जा सकता है, “मुलज़िम केस के किसी भी गवाह से कोई राब्ता नहीं रखेगा और निगरानी कर रही पुलिस की इजाज़त के बगैर किसी भी शख्स से बात नहीं करेगा” |
29 सितम्बर 2008 को मालेगांव में हुए ब्लास्ट में 6 अफ़राद हलाक और 100 अफ़राद ज़ख़्मी हो गये थे इस केस में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित समेत 12 लोगों को गिरफ़्तार किया गया था |
मुल्ज़ीमिन के ख़िलाफ़ महारष्ट्र कंट्रोल ऑफ़ आर्गेनाइजेड क्राइम एक्ट (MCOCA) अनलॉफुल एक्टिविटिज़ प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) और IPC के तहत मामला दर्ज किया गया था |
सुप्रीम कोर्ट के हुकुम के बाद , NIA एक्ट की दिफ़ात के तहत इस केस की सुनवाई के लिए एक ख़ुसूसी अदालत का गठन किया गया है |