पिछले माह 16 अप्रैल को आए फैसले में अदालत ने असीमानंद को बरी कर दिया था। मिली जानकारी के अनुसार अब एनआईए असीमानंद को बरी करने के खिलाफ अपील नहीं करेगी। 11 साल बाद एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सभी 5 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।
इस मामले में स्वामी असीमानंद को मुख्य आरोपी बनाया गया था। मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस से पहले असीमानंद का नाम अजमेर दरगाह में धमाके, समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट और 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए ब्लास्ट में भी जुड़ चुका है।
स्वामी असीमानंद को अजमेर, हैदराबाद और समझौता एक्स्प्रेस विस्फोट मामलों में 19 नवंबर 2010 को उत्तराखंड के हरिद्वार से गिरफ्तार किया गया था। साल 2011 में उन्होंने मजिस्ट्रेट के सामने कबूल किया था कि अजमेर की दरगाह, हैदराबाद की मक्का मस्जिद और अन्य कई स्थानों पर हुए बम धमाकों में उनका और दूसरे हिंदू चरमपंथियों का हाथ था।
हालांकि, बाद में वो अपने बयान से पलट गए। असीमानंद को साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का करीबी माना जाता है। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का नाम भी मालेगांव ब्लास्ट में सामने आया था।