उत्तरप्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुराबादाबद के सरकारी अस्पताल में एक भी सरकारी डॉक्टर नहीं है । बार-बार लिखित अपील के बावजूद योगी सरकार ने अस्पताल में एक भी डॉक्टर नहीं भेजा जिसकी कीमत बच्चों को अपनी जान से चुकानी पड़ रही है ।
सरकार की लापरवाही और अनदेखी की वजह से सिर्फ अगस्त में ही यहां आधा दर्जन बच्चों की मौत हो गयी है. बच्चों की मौत से घबराये अस्पताल प्रशासन और अभिभावकों में जहाँ हड़कंप मचा हुआ है, लेकिन सरकार है कि उसे कोई फिक्र ही नहीं है ।
मुरादाबाद जनपद के महिला अस्पताल में जो कर्मचारी हैं, उनमें से ज्यादातर संविदा पर हैं. सरकारी डॉक्टर नही होने की वजह से यहां पिछले एक महीने में आधा दर्जन बच्चों की मौत हो गई है । एसएनसीयू वार्ड में हुई बच्चों की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन खुद को बचाने की कवायद में जुटा है। हैरानी की बात यह है कि एस एन सी यू वार्ड में तैनात स्टाफ संविदा पर तैनात है और इस अत्यंत सवेदनशील वार्ड में एक भी सरकारी डॉक्टर की तैनाती नहीं की गई है।
इस मामले में सीएमएस महिला अस्पताल डॉ कल्पना का कहना है कि पिछले काफी समय से अस्पताल में स्टाफ की कमी को लेकर शासन को लिखा जा चुका है। बावजूद इसके अभी तक शासन स्तर से स्टाफ की तैनाती नही की गई है।
अस्पताल में तीन बच्चों की मौत लोअर बर्थ वेट (प्री मेच्योर डिलीवरी) के चलते हुई है जबकि तीन बच्चों की मौत गम्भीर बीमारियों की वजह से हुई है । जिला महिला अस्पताल में ज्यादातर गम्भीर बीमार बच्चों को अस्पताल प्रशासन द्वारा हायर सेंटर रेफर किया जाता है।
सीएमएस महिला अस्पताल के मुताबिक जिला महिला अस्पताल में वेंटिलेटर की व्यवस्था नही है जिसके चलते गम्भीर बीमार बच्चों को ज़रूरी इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर किया जाता है। अगस्त महीने में हुई बच्चों की मौत की रिपोर्ट सीएमएस द्वारा शासन को भी भेजी गई है साथ ही जिला अस्पताल में स्टाफ की कमी का हवाला देकर स्टाफ तैनात करने की मांग की गई है।
गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में भी बच्चों की मौतों का सिलसिला जारी है । पिछले घंटे में यहां बच्चों की मौत हो चुकी है । लेकिन योगी सरकार को बच्चों की मौतों की कोई परवाह ही नहीं हैं, यूपी के स्वास्थ्य मंत्री ने गोरखपुर मौतों पर कहा था कि अगस्त में बच्चों की मौतें होती हैं ।