कोई भी पार्टी मुस्लिमों की अनदेखी नहीं कर सकती : जफर सरेशवाला

हैदराबाद। देश में हालिया उपचुनावों के परिणाम, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के कैराना लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में मुस्लिम महिला उम्मीदवार तब्बस्सुम हसन की जीत ने स्पष्ट कर दिया है कि सांप्रदायिक राजनीति, धार्मिक कट्टरपंथ और विभाजनकारी राजनीति अब उपयोगी नहीं है।

मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर जफर सरेशवाला, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माना जाता है, ने उपचुनावों के परिणामों पर टिप्पणी करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि 2017 यूपी विधानसभा चुनावों में मुस्लिमों को नजरअंदाज कर दिया गया था, लेकिन एक साल बाद के परिणाम से साबित है कि कोई भी पार्टी मुसलमानों को अनदेखा नहीं कर सकती है।

सरेशवाला ने कहा कि कैराना में एक मुस्लिम उम्मीदवार को पार्टी टिकट देना आरएडी और एसपी की उपलब्धि है। धार्मिक कट्टरतावाद को उत्तेजित करने और जिन्ना की तस्वीर, बाबरी मस्जिद, मुजफ्फरनगर दंगों जैसे घृणित मुद्दों को उठाने से विभाजक रणनीतियों का सामना करना पड़ा। एक मुस्लिम महिला की जीत बहुसंख्यक समुदाय का समर्थन भी दिखाती है।

सरेशवाला ने कहा कि मुसलमानों की राजनीतिक ताकत को कम करने की गलती किसी भी पार्टी के लिए विनाशकारी हो सकती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि 90 प्रतिशत हिंदू भाई धर्मनिरपेक्ष हैं।

उन्होंने दावा किया कि मुसलमान 145 लोकसभा सीटों में किंगमेकर की भूमिका बना सकते हैं। मोदी समर्थक जफर सरेशवाला ने उपचुनाव परिणामों के बाद विपक्ष की भी प्रशंसा की और बिहार में जीत के लिए तेजस्वी यादव को बधाई दी।