आर्मी चीफ़ को जम्मू-कश्मीर के स्कूलों में शिक्षा पर उपदेश देने की जरूरत नहीं है- शिक्षा मंत्री

आर्मी चीफ बिपिन रावत ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर के स्कूल छात्रों को देश के बारे में गलत सूचनाएं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां के स्कूल छात्रों को यह बताते हैं कि देश से एक अलग पहचान जम्मू कश्मीर की है।

बिपिन रावत के इस बयान पर जम्मू कश्मीर के शिक्षा मंत्री ने कड़ी आपत्ति जताई है और कहा है कि वे एक सम्मानित ऑफिसर हैं और उन्हें शिक्षा पर उपदेश नहीं देना चाहिए।

आर्मी चीफ ने शुक्रवार (12 जनवरी) को कहा था, ‘‘आप कश्मीर के किसी स्कूल में जाएंगे तो आपको दो नक्शे देखने को मिलेंगे। एक भारत का नक्शा और दूसरा जम्मू कश्मीर का। हर कक्षा में हमेशा दो नक्शे होते हैं।

जम्मू कश्मीर के अलग से नक्शे की क्या जरूरत है। अगर आप अलग नक्शा लगा रहे हैं, इसका मतलब हर राज्य का अलग नक्शा लगाया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसका बच्चों के लिए क्या मतलब है। यही कि मैं देश का हिस्सा हूं लेकिन मेरी अलग पहचान भी है। इसलिए बुनियादी समस्या इस बात में निहित है कि जम्मू कश्मीर में सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बिगड़ गया है।’’

जनरल रावत ने मदरसों और मस्जिदों पर भी नियंत्रण की पैरवी की थी। उन्होंने कहा, ‘‘एक और मुद्दा मदरसों तथा मस्जिदों का है। छात्रों को जो बताया जा रहा है या जो गलत जानकारी दी जा रही है, वो मदरसों और मस्जिदों के जरिये दी जा रही है।

मुझे लगता है कि उन पर कुछ पाबंदी लगानी होगी और हम इस बारे में विचार कर रहे हैं।’’ जनरल ने यह भी कहा कि कश्मीर में पथराव करने वाले कुछ युवक सरकारी स्कूलों के हैं और राज्य में शिक्षा व्यवस्था में सुधार की जरूरत है।

आर्मी चीफ के इस बयान पर सूबे की राजनीति में बवाल उठ खड़ा हुआ है। राज्य के शिक्षा मंत्री सैयद मुहम्मद अल्ताफ बुखारी ने आर्मी चीफ के बयान पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, ‘आर्मी चीफ सम्मानित अधिकारी हैं, मैं नहीं समझता हूं कि वह एक शिक्षाविद हैं जो कि वह शिक्षा पर उपदेश दें, शिक्षा राज्य का मामला है और हमें पता है कि अपना विभाग कैसे चलाना चाहिए।’

शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस राज्य में दो झंडे हैं, दो संविधान भी है, हर स्कूल में राज्य का नक्शा है क्योंकि राज्य के बारे में बच्चों को पढ़ाना पड़ता है। बता दें कि आर्मी चीफ ने जम्मू कश्मीर में और अधिक पब्लिक स्कूल, और सीबीएसई स्कूल खोले जाने की पैरवी की।