नई दिल्ली: उर्दू संस्थानों और क्षेत्रों की बदहाली की ओर इशारा करते हुए एनसीपीयूएल के डायरेक्टर प्रोफेसर इर्तज़ा करीम ने कहा कि कोई और नहीं हम खुद ही उर्दू के दुश्मन हैं। यब बात उन्होंने राष्ट्रिय उर्दू काउंसिल के तीन दिवसीय विश्व सम्मेलन के समाप्ति समारोह से ख़िताब करते हुए कही। सम्मेलन का विषय ‘उर्दू भाषा व संस्कृति और मौजूदा विश्व समस्या’ था।
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उन्होंने उर्दू विभागों की बदहाली की ओर इशारा करते हुए कहा कि अगर विभाग के शिक्षक अपने सेल्फ स्टडी में वृद्धि करें, तो न केवल उर्दू माला माल हो सकता है बल्कि इससे शिक्षकों को भी फायदा पहुंच सकता है।
उन्होंने कहा कि स्थिति यह हो गई है कि उर्दू के कई विभाग बदल गए हैं और अध्यापकों की आदत हो गई है कि वह अध्ययन के आलावा सभी काम करते हैं। उन्होंने कहा कि अपने देश और मिटटी से उर्दू जुबान की जो गहरी लगाव है वह स्पष्ट है। हमारे लेखकों ने सांस्कृतिक सामाजिक मूल्यों के अस्तित्व की रक्षा के लिए जो प्रयास किए हैं वे मूल्यवान हैं।