छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली हमले में शेर मोहम्मद उन ख़ुशकिस्मत जवानों में से एक हैं, जो ज़िंदा बच गए. सोमवार को बुरकापाल-चिंतागुफा इलाके में माओवादियों ने घात लगाकर सीआरपीएफ की रोड ओपनिंग पार्टी पर हमला किया था, जिसमें 25 जवान शहीद हो गए.
पिछले चार साल के दौरान ये सबसे बड़ा माओवादी हमला है. सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन को 300 माओवादियों ने घात लगाकर निशाना बनाया. इस हमले में ज़ख़्मी हुए सीआरपीएफ जवान शेर मोहम्मद का अस्पताल में इलाज चल रहा है. उनकी मां फरीदा का कहना है, “मेरे बेटे ने पांच माओवादियों को मारा. मुझे अपने बेटे पर गर्व है. पूरा गांव उसके ठीक होने के लिए प्रार्थना कर रहा है.”
हमले में जीवित बचे सीआरपीएफ जवान शेर मोहम्मद अस्पताल में भर्ती हैं. मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, “पहले माओवादियों ने गांव वालों को हमारी लोकेशन का पता लगाने के लिए भेजा. इसके बाद 300 माओवादियों ने हमारे ऊपर हमला कर दिया. हमने भी उनके ऊपर फायरिंग की और कई माओवादियों को मार गिराया.”
हमले में घायल शेर मोहम्मद के मुताबिक, “नक्सली 300 के करीब थे, जबकि सीआरपीएफ जवानों की संख्या 150 थी. हमने भी मुठभेड़ के दौरान फायरिंग जारी रखी. मैंने खुद तीन से चार नक्सलियों के सीने में गोली मारी.” इस हमले के बाद पहले सीआरपीएफ के कंपनी कमांडर समेत सात जवानों के लापता होने की खबर आई. वहीं शाम को पता चला कि ये जवान सुरक्षित अपने कैंप में लौट आए हैं.
छत्तीसगढ़ के सुकमा में दो महीने में ये दूसरा बड़ा माओवादी हमला है. 11 मार्च को सुकमा में ही सीआरपीएफ की 219वीं बटालियन को माओवादियों ने निशाना बनाया था, जिसमें 11 जवान शहीद हो गए थे.
सुकमा हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के 25 जवानों के नाम:
रघुबीर सिंह, के के दास, संजय कुमार, रामेश्वर लाल, नरेश कुमार, सुरेंदर कुमार, बन्ना राम, एलपी सिंह, नरेश यादव, पद्मनाभन, सौरभ कुमार, अभय मिश्रा, बनमली राम, एन पी सोनकर, के के पांडेय, विनय चंद्र बर्मन, पी अलागुपुंदी, अभय कुमार, एन सेंथिल कुमार, एन थिरूमुरुगन, रंजीत कुमार, आशीष सिंह, मनोज कुमार, अनूप कर्माकर, राम मेहर (अस्पताल में मौत).