राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के निकाय चुनाव बहिष्कार से अनुच्छेद 35 ए पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्हें यह लड़ाई न्यायालय में लड़नी होगी। उनका मानना है कि जब राज्य में लोकतांत्रिक सरकार चुनकर आए उसी समय इस मामले पर सुनवाई होनी चाहिए। केंद्र सरकार की इस मामले पर चुप्पी पर राज्यपाल ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों के अपने कारण हैं, अपनी मजबूरियां हैं।
हालांकि उनकी नेशनल कांफ्रेंस के प्रधान डॉ. फारूक अब्दुल्ला जी से बात हुई। दो बार उन्होंने मेरे साथ ही पंचायती चुनाव का समर्थन कर लोगों से इसमें भाग लेने को कहा। मलिक ने कहा कि इससे लोगों का ही विकास होगा। इससे कश्मीर का ही विकास होगा। निकाय व पंचायत चुनाव कश्मीर के लोगों के लिए हैं। कुछ लोग इस पर जरूर राजनीति कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जब महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री थी तो उन्होंने कहा था कि वह उनके घर आकर खाना खाएंगे। अब उन्होंने महबूबा को खाने पर बुलाया परंतु उन्हें पहले महबूबा खाने पर बुलाना चाहती हैं। मलिक ने कहा कि जब उनके घर जाऊंगा तो उनसे भी अनुरोध करूंगा।
चुनाव करवाने को लेकर कोई परेशानी नहीं है। दक्षिण कश्मीर के एक हिस्से में आतंकी लोगों को धमकी दे रहे हैं। हम उनके खिलाफ सख्ती करेंगे। चुनाव लड़ने वालों को सुरक्षा दी जाएगी। निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव होंगे।
उन्होंने माना कि पहले स्वतंत्र चुनाव न होने के कारण ही कश्मीर में ऐसी समस्या है। वह एक सरकारी चैनल से बातचीत कर रहे थे। जम्मू कश्मीर में बहुत ज्यादा भ्रष्टाचार राज्यपाल ने कहा कि जम्मू कश्मीर में प्रशासनिक स्तर पर बहुत भ्रष्टाचार है।
वह ऐसा सिस्टम बनांएंगे कि भ्रष्टाचार में संलिप्त अधिकारियों व कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। भ्रष्ट राजनीतिज्ञों के खिलाफ कार्रवाई पर उन्होंने कहा कि उनका प्रयास होगा कि किसी को यह न लगे कि राजनीतिक कारणों से कार्रवाई हुई। इसलिए जांच करवाई जाएगी।
उन्होंने कहा कि दो-तीन उच्च अधिकारियों के खिलाफ उन्होंने कार्रवाई की है। अन्य के बारे में भी जांच चल रही है। जम्मू कश्मीर का आम नागरिक बहुत ही गरीब है।
कश्मीर समस्या का समाधान संवादराज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि जम्मू कश्मीर की समस्या का समाधान संवाद है। यहां के लोगों की समस्याओं को जानकर उनका समाधान करना होगा। इसके लिए उन्होंने प्रयास भी शुरू कर दिए हैं।