इन नेताओं के गुस्से से उबल रहा है मोदी का गुजरात, आज निकालेंगे भाजपा सरकार के ख़िलाफ़ मार्च

नरेंद्र मोदी का गुजरात अंदर ही अंदर उबल रहा है। राज्य में बड़ी आबादी के अंदर असंतोष की लहर है। किसानों और दलित जातियों के बीच सरकार के खिलाफ भारी असंतोष है। अल्पेश ठाकौर, हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवाणी जैसे यूथ लीडर अपने-अपने समुदायों की मांगों को लेकर सड़कों पर उतरने वाले हैं।

ओबीसी लीडर अल्पेश शुक्रवार से साबरमती आश्रम से गांधीनगर तक मार्च निकालेंगे। वह गुजरात में पांच एकड़ से कम जमीन वाले छोटे और सीमांत किसानों की कर्जा माफी की मांग उठा रहे हैं। उनका कहना है कि गुजरात में किसान भारी संकट में हैं। राज्य के साढ़े 60 लाख से ज्यादा किसानों में से हरेक पर 70,000 रुपये से ज्यादा का कर्जा है।

अल्पेश चाहते हैं कि छोटे और सीमांत किसानों का कर्जा सरकार माफ करे। अल्पेश ने किसानों से अपील की है कि वे कुछ दिनों तक डेयरियों में दूध की सप्लाई न करें। पिछले दिनों किसानों ने अल्पेश के नेतृत्व में सड़कों पर सैकड़ों लीटर दूध बहा कर अपना विरोध जाहिर किया था। वह कहते हैं कि हमने कर्जा माफी के लिए सरकार पर दबाव डालने के लिए विरोध का यह तरीका अपनाया था।

अल्पेश के अलावा पाटीदार अनामत आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल भी नए सिरे से आंदोलन छेड़ने की तैयारी में हैं। किसानों का कर्जा माफी की मांग लेकर शनिवार से वह भी गोंडल शहर से मार्च निकालेंगे। पटेल के नेतृत्व में हस्ताक्षर अभियान चलाने का फैसला किया गया है और अलग-अलग गांवों में यह 54 दिनों तक चलेगा। राज्य में ताकतवर माने जाने वाली पाटीदार जाति की आबादी 12 से 14 फीसदी है।

अगले सप्ताह से युवा दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने भी आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है। वह राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के बैनर तले आजादी कूच का नेतृत्व करेंगे जो ऊना में दलितों की क्रूर पिटाई के एक बरस पूरे होने के मौके पर शुरू होगी।

जिगनेश का कहना है कि पिछले एक साल के दौरान पर दलितों पर अत्याचार और ज्यादा बढ़े हैं। गोरक्षा के नाम पर उन्हें जहां-तहां निशाना बनाया जा रहा है। गोरक्षकों को मिली खुल छूट से हालात और बिगड़ते जा रहे हैं। दलितों के खिलाफ अत्याचार नहीं रुके तो हम चुप नहीं बैठेंगे। गुजरात और केंद्र सरकार को यह समझना होगा दलित समाज जागरुक हो रहा है और वह उनकी ईंट से ईंट बजाने की क्षमता रखता है।

बहरहाल, गुजरात में अलग-अलग समुदाय के इन युवा नेताओं की हुंकार से सरकार सहमी हुई है। आंदोलन ने जोर पकड़ा तो राज्य सरकार के लिए मुसीबतों का नया दौर शुरू हो सकता है।

साभार-सबरंगइंडिया